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________________ गुण Hon PP.AC.Gunratnasuri M.S. | तदा पुष्पाणिपुष्पाणी त्येवं जैब्पन् सुकोमलम् // लात्वा तानि पुरस्थानि,जंघौ नॅपतिनंदनः॥ नागो जंगौ चेङ्गामाता, जातो मेऽयं र्नु तन्मयाँ // नित्यमस्मै प्रदेयोनि, 'मदारकुसुमान्यपि // __ते वखते "पुष्पो पुष्पो" एम मधुर वचन बोलतो राजकुमार ते आगल पडेलां पुष्पोने लइने सुंघवा लाग्यो. // 55 // नागे कह्यु."जो आ म्हारो जमाइ थयो छे! ! तो म्हारे तेने निरंतरमंदार जातिनां पुष्पो पण आपवा.॥५६॥ नवत्कुले पिनो सर्पविषं च निविष्यति // अथो नपस्तयोः पाणिग्रहोत्सवमैकारयत्॥५॥ अनुज्ञाप्य गते नागे, राजा राज्यमपालयत् // नागपुत्र्या संमं रेमे", यौवनस्थो नृपांगजः एज ___ वली तमारा कुलने विषे पण सर्प विष नहि चडे." पछी राजाए तेओनो विवाह महोत्सव कराव्यो. // 57 // पछी नाग रजा लइने गयो एटले राजा राज्य करवा लाग्यो अने यौवनावस्थामां आवी पहोचेलों राजकुमार नागपुत्रोनी साथे क्रीडा करवा लाग्यो. // 58 // ईतश्च धर्मघोषाख्यः, सूरिस्तंत्र समागतः॥ ज्ञानवास्तं नैपो"नंतुं, पुत्रेण संहितो ययौ।एण॥ श्रुत्वोपदेशं प्रच, नृपस्तं केन हेतुना // पुत्रस्य नाग्यं सौन्नाग्यमद्भुतं चं निरीक्षते" // 6 // ___ एवामां त्यां ज्ञानवंत एवा धर्मघोषसूरि आव्या, तेथी पुत्रसहित राजा तेमने वंदना करवा गयो.॥५९॥ त्यां धर्मोपदेश सांभल्या पछी राजाए तेमने पूछयु के, “शा हेतुथी पुत्रनुं भाग्य अने अद्भुत सौभाग्य देखाय छे. 60 मुनिः पूर्वनवं प्रोचे, नगरे हस्तिनापुरे // श्रेष्ठिनो धनदत्तस्य, सुतो लक्ष्मीधरोऽवत्॥६१॥ अनेन शुनावेन, यच्चक्रे जिनपूजनम् // पुष्पपूजाविशेषच, तेनास्यानुतनाग्यता // 6 // ___ मुनिये पूर्वभव कह्यो के, इस्तिनापुर नगरमां धनदत्त शेठने लक्ष्मीधर नामनो पुत्र हतो.॥ 61 // एणे शुद्ध भावथी जे जिनपजन करयं अने पुष्पपजा विशेप करीः तेथी तेनं अन्नत भाग्यपणं छे. // 12 // Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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