________________ P.PAGunratnasuti MS नृपे मंत्रिमुखं पश्यत्यंकरोत्दणादसौ // सर्परूपं महाकायं, शिरःस्फू जन्मणिद्युतिः॥४॥ लोके बिभ्यति तत्कालं,विप्ररूपं पुनर्दधौ ॥विस्मितस्तंनृपः प्रोचे,कोऽसि त्वं सत्यमुच्यताम् 48 राजाए मंत्रीना मख सामु जोयु एटले ए ब्राह्मणे तत्काल म्होटा शरीरवालुं अने माथा उपर देदोप्यमान मणिनो कांतिवालु सर्परूप करयं. // 47 // लोको भय पामवा लाग्या एटले तुरत तेणे फरी ब्राह्मणर्नु रूप धारण करयु. पछी विस्मय पामेला राजाए तेने पूछयु के " तमो कोण छो? ते सत्य कहो." // 48 // से जंगौ देवशर्मानूप्रिो वेदेषु पारगः॥ सुग्रामनामनि ग्रामे, गौरी तेस्य च वैजना॥ वाईकेच तयोर्जाता, सुता रूंपजितामरो // चतुर्वर्षप्रमाणायां, तस्यां स ब्राह्मणो मृतः॥५॥ तेणे कयु. " सुग्राम नामना गामने विषे वेदपारगामी देवशर्मा नामनो ब्राह्मण हतो अने तेने गौरी नामनी स्त्री हती. // 49 // वली वृद्धावस्थामा तेओने रूपथी देवांगनाओने जीतनारी पुत्री थइ. ते पुत्री चार वर्षनी थइ एटलामां ते देवशर्मा ब्राह्मण मरी गयो. // 50 // ब्राह्मष्यपि मृता सोऽनध्यंतरेषु महोरगः॥पातालविवरे तेन क्रीडार्थं वोटिका केता // 51 // अवधिज्ञानतो ज्ञात्वा, निराधारां निंजा सुताम् ॥स्वपार्श्वे स्थापयामास,कियत्कालं समाहितः॥ ब्राह्मणी पण मरी गइ. ते ब्राह्मण व्यंतर देवतामां महा सर्प थयो अने तेणे पाताल गुफामां क्रीडाने माटे वाडी बनावी // 51 // पछी अवधिज्ञानथी पोतानी पुत्रीने निराधार जाणीने तेणे सावधानपणाथी केटलोक काल तेने पोतानी पासे राखी. // 52 // तेस्या योग्य नवत्पुत्रं, झात्वा सांप्रतमेतयागयुक्त्या सोऽहं संमायातस्तत्कीर्य सिध्मिानय // तैदानाय्य नेपः पुत्रं, निजोत्संगन्यवेशयत् ॥योग्यं वरं च कॅन्यांच,हेष्वा ?ष्ठोऽखिलो जैनः एच ते म्हारी पुत्रीने योग्य तमारा पुत्रने जाणीने ते हुँ हवणां आयुक्तिथी अहिं आव्यो छु, माटे ते कार्यने * सिद्ध करो. // 53 // ते वखते राजाए पुत्रने बोलावीने पोताना खोलामां बेसारयो एटले योग्य एवा वरने अने कन्याने जोइ सर्वे माणसो हर्ष पाम्या. // 54 // . Jun Gun Aaradhak Trust Dna avne