________________ गुण // 3 // P.P.A. Gunratnasuti MS **XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX इति प्राध्य स्थिते सर्प, कुसुमानां चतुष्टयम् // गृहीत्वा सचिवोऽचालीसपोऽनूँत्पूर्ववत् पुरैः३५ चर्चा स्थिते से गुहाघारे मैत्रो विस्मितमानसः॥ आगत्य नूपते पार्थे,' ददौ पुष्पचतुष्टयम् // ___ए प्रमाणे कहीने सर्प उभो रह्यो एटले प्रधान चार पुष्पोने लइ चाली निकल्यो एटले सर्प पूर्वनी पेठे / आगल चाल्यो. // 39 // गुफाना बारणे सर्प उभो एटले विस्मितमनवाला मंत्री राजानी पासे आवी चार पुष्यो आप्यां.॥४०॥ गृहीत्वा तानि पुष्पाणि, पत्रे प्रमुदिते सति॥ नुजाने नोज्यमबापि,प्रीतानुक्त संखोयुता॥१॥ मंत्रिणा सर्ववृत्तांते, कथिते सति नूपतिः॥ प्रातः संन्नामलंचके, नन्नोदेशमिवार्यमा // 3 // ते पुष्पो लइने राजकुमारे भोजन करे छते माताये पण प्रसन्न थह सखोयो सहित भोजन करयुं. / / 41 // मंत्रोये सर्व वृत्तांत को छते राजाए सवारमा सूर्य जेम आकाशने सुशोभित करे तेम सभाने सुशोभित करी.॥४२॥ वेत्रिणा वेदितो वृशे, विप्रस्तत्र समागतः। तस्य पृष्टानुगा कन्या, सलावल्या समाययौ॥३॥ | मंदारामपुष्पाणि, प्रानृतीकृत्य पाणिना। से विप्रो नजे दैत्वांशीर्वाद च निविष्टवान॥४॥ ते वखते द्वारपाले जाहेर करेलो वृद्ध ब्राह्मण त्यां सभामां आव्यो अने तेनी पाछल आवती एदी लावण्यवाली कन्या पण त्यां आवी. // 43 // ते ब्राह्मण राजाने हाथवती मंदार वृक्षना पुष्पो भेट करीने अने आशीर्वाद आपीने वेठो. // 44 // के यूयं कुत आयाताः, केयं कन्या मनोरमाएतानि कुत्र लन्यते,पप्पाणिप्रेचुराणि च॥४५॥ सोऽवादीन कथं पृष्टस्त्वया मैत्री सएव हि // यं तस्याग्रे गुहामध्ये, प्राँगे प्रकटोऽनवम् 46 पछी राजाए पूछयु " तमे कोण छो? क्याथी आव्या छो? आ मनोहर कन्या कोण छे ? अने आ बहु पुष्पो क्याथी लाव्या छो?" // 45 // ब्राह्मगे कयु. " तमे ते मंत्रीने शुं नथी पूछयु? जे हुँ गुफानी मध्ये तेनी आगल प्रथमज प्रगट थयो इतो. // 46 // Jun Gun Aaradhak Trust XBaa