________________ गुण // 3 // PPA Gunratnasuti MS तेन पुष्पाण्यपूर्वाएयांनीतान्यंत्र चतुष्पथे // स्वर्णपंचशतैस्ताँनि, क्रोतानि व्यवहारिणा॥३॥ चरित्र. मंत्री मूलमितिात्वा, तस्य ग्रामं गतस्ततः॥श्रीरामि कंतमाहूये, कैलुमानि ययाच सः॥२॥ ते मालीये आ चोकमां अपूर्व पूष्पो आण्यां हतां अने कोइ वेपारोये ते पांचशो सोना म्होरथी खरीयां हता." // 23 // मंत्री ए प्रमाणे मूल जाणी अने पछी ते मालीना गामने विषे गयो त्यां तेणे ते मालीने बोलावीने पुष्पो माग्यां // 24 // से जंगाद मैमा मे, तदृता एंव संतिन // मंत्री प्रोचे कुंतःस्थानादौनीतानि ततो वैदे॥५॥ सोऽर्वक् प्रातरिहायोतः, शैलस्यास्य गुहांतरे॥ शिलातलोपरिस्थानि, कुसुमान्यहमोददे॥२६॥ ____ मालीये कह्यं. "ते वृक्षोज म्हारा बगीचामां नथी." मंत्रीये कह्यु. "तो कया स्थानथी ते पुष्पो आण्यां हां ते कहे ?" // 25 // मालाये कह्यु. " सवारे अहिं आवेला में आ पर्वतनी गुफामांथी शिला उपर रहेला पुष्पो / लीधां हतां // 26 // शिलायां विक्षोतायांच,लब्ध्वा पुष्पचतुष्टयम् ॥मंत्री प्रमुदितः प्रैषोत्तदैवामूनि नूंनुजे॥॥ शिलायां कुतरेतानि, समेतानीति चिंतयन् // सर्पतमंतः सपै स, देशैंक मैदातनुम् // // ___ शिला जोइ एंटले चार पुष्पो मल्या, तेथी हर्पित थयेला तेणे ते वखते ते पुष्पो रानाने मोकली आप्यां | // 27 // शिलामां आ पुष्पो क्याथी आव्यां ?" एम विचार करता एवा मंत्रीये अंदर फरता म्होटा शरीरवाला सर्पने दोठो. // 28 // . शिरःस्फुरन्मणिज्योतियोतिताखिलदिग्मुखम् // तं दृष्टा कातराः केचित्पलायांचक्रिरे ततः स्वमणिज्योतिषापास्तांधकारपटलस्ततः // सर्पश्चचाल पातालविवरेण शनैःशनैः // 30 // ___ माथाना देदीप्यमान मणिथी सर्व दिशाओने प्रकाशीत करनारा सर्पने जोइने पछी केटलाक कायर माणसो नासी गया. // 29 // पछी पोतानी मणिना तेजथी अंधकारना समूहने नाश करनारो सर्प धोमे धीमे पाताल गुफा तरफ चाल्यो. // 30 // Jun Gun Aaradha Trust KIR