________________ PPA Guntasun MS कुतस्त्वया समानीतान्येतान्येष नृपं जंगौ।। चतुष्पाविति श्रुत्वा, नूपो नृत्याननापत // 15 // * गत्वा नो यत्रतत्राप्यारामिकाणां चतुष्पथे।ानीय देत पुष्पाणि, पाणौ में तनुजन्मनः॥१६॥ ____ "तें आ पुष्पो क्याथी आण्यां?" लक्ष्मीधरे राजाने कर्तुं. " चौटामांयी." शेठनां आवां वचन सांभली राजाए सेवकोने कह्यु. // 15 // "हे सेवक ! ज्यां त्यां मालोयोना चोकने विषे जाओ अने पुष्यो लावी म्हारा पुत्रने आपो." // 16 // - परिजम्य समायातास्ते प्रोचुर्नपतिं प्रेतिम् // ने व्यान्ये पुष्पाणि, सर्वतःशोधितान्यपि॥ तेदा बाढतरं बालः, प्रोरेने कुसुमाग्रहम् // नानुक्त नोज्यमादत्त, न फैलं ने जैल पंपौ // 1 // ___पछी ते सेवको भमीने पाछा आवीने राजाने कह्यु के, “चारे तरफ शोध्या छतां पण पुष्पो मल्यां नहि. // 17 // ते वखते विजयचंद्र कुमारे पुष्पने विषे अत्यंत आग्रह आरंभ्यो; तेथी तेणे भोजन करयुं नहि, फल खाधां नहि अने पाणी पण पीधुं नहि. // 18 // तेस्य मातापि संतापानाजुक्त सपरिचदा // राजाँपि खितो दध्यावहो बॉलकदाग्रहः // 1 // नूपोऽथ मंत्रिणं प्राह, येनानितानि मूलतः॥ ततःस्वरूपं विझाय, पुष्पाण्यानय सत्वरम् // // कुमारनी माताये पण संतापथी परिवार सहित भोजन न करयु, तेथो राजा पण दुःख पामीने विचार करवा लाग्यो के, "अहो! आ बालकनो कदाग्रह आश्चर्यकारी छे !!! // 19 // पछी राजाए प्रधानने का. "जेणे पुष्पो मूलथी आण्यां छे, तेथी तेनुं स्वरूप आणीने तुरत पुष्प लावो. // 20 // ततो मंत्री नेपादेशादारामिकचतुष्पदे।। प्रारामिकान् सर्वांस्तेषामेक स्त्विदं जंगौ॥१॥ आरामिकः समायातः, प्रातरेव पुनर्गतः॥ प्रत्यासन्ने वैसत्येष, ग्रामे सुग्रामनामनि // 22 // ____ पछी राजानी आज्ञाथी मंत्रीये मालीना चोकमां सर्वे मालीने पूज्यु एटले तेमाथी एके या प्रमाणे कयु.॥२१॥ एक माली आव्यो हतो अने ते सवारेज पाछो गयो छे. ते पासेना सुग्राम नामना गाममा वसे छे. // 22 // Jun Gun Aaradhak Trust