________________ रित्र. %3D PPAC Gunratnasuti MS तैदा लक्ष्मीधरो नाम, व्यवहारी विदेशतः // वेत्रिणा वेदितस्तत्र, समायातः सन्नांतरे // 7 // रिक्तहस्तै दृश्यंते, रोजानो निषजो गुरुः॥ इति न्यायेन पुष्पाणि, सोऽमुंचद्रूपतेः पुरः॥॥ ते वखते परदेशथी आवेलो लक्ष्मीधर नामनो वेपारी द्वारपाले जाहेर कर यो छतो त्या सभामां आव्यो.॥७॥ "खाली हाथे राजा, वैद्य अने गुरु पासे न जq." ए न्यायथी ते लक्ष्मीधर शेठे राजानी आगल पुष्पों मूक्या.॥८॥ तेषां परिमलोऽत्यंत, विष्वक् तत्र प्रसृत्वरेन्पो जगाद पृष्पाणि, दीयंतां संन्यपाणिषु॥णा तेषु प्रदीयमानेषु, पुष्पेषु व्यवहारिणा // बालहारोगतो बालः, पुत्रो राज्ञः समागतः॥१॥ ते पुष्पनो सुगंध अत्यंत सभामां चारे तरफ प्रसरी रह्यो एटले राजाए कह्यु के, "सभामां बेठेला माणसोना हाथमां ते पुष्पो आपो." // 9 // लक्ष्मीधर शेठ ते सभाना माणसोने पुष्प आपतो हतो एवामा रक्षक पुरुषे तेडेलो बाल राजकुमार त्यां आव्यो. // 10 // राजा दधौ निजोत्संगे, तं रंगेर्ण मनोहरम् // मूर्तिमंतमिवानंद, वस्त्रान्तरणन्नासुरम् // 11 // याचमानस्य पुष्पाणि, दीयमानानि पश्यतः।। कुमारस्य करे पुष्पयुग्मं लक्ष्मधरोऽमुचत् // राजाए मूर्तिमंत आनंदनी पेठे मनोहर अने वस्त्र आभूषणथी देदीप्यमान एवा ते पुत्रने हर्षथी पोताना खोळामां बेसारयो. // 11 // सभामा पुष्पो वेहेंचतां जोइने ते पुष्पोने मागता एवा कुमारना हाथमां लक्ष्मीधर बे पुष्पो आप्यां. // 12 // आजिघ्रन् पुनरेतानि, कुसुमानि ययाच सः॥ अन्याघ्रातानि तान्येषं ,दोर्यमानानि नौ देते॥ एतजातीयपुष्पाणि, नव्यान्येव प्रेयच मे // इत्यगृह्णति पुत्रे च, नेपो लेक्ष्मीधरं जंगौ // 1 // ते पुष्पोने सुंघता एवा कुमारे वोजा ते पुष्पो माग्यां एटले वीजाओए सुंघलां पुष्पा आपवा मांडयां, पण ते तेणे न लीघां. // 13 // "नवोन आ जातनां पुष्पोज मने आपो." एम कहीने कुमारे ते पुष्पोने न लीधां एटले राजाए लक्ष्मीधरने कह्यु. // 14 // Jun Gun A nak 11B JIS