________________ // सर्ग 3 जो॥ PP Ad Gunu MS नरवर्मा मुनिः प्राह, गुणवर्मणि शृंगवति // पुष्पपूजा :ता येन, फैलं तस्य निर्गद्यते // 1 // अत्रास्ति नरते नॅमिरमणीमणिकुंडलम् // कुंडलं नाम नंगरं, तंत्रौनूदिक्कमो नृपः // // . गुणवर्मा राजा सांभळता छतां नरवर्मा मुनि कहेछे के, जेणे जिनराजनी पूष्पवडे पूजा करीछे, तेनुं फल कहेवाय छे. // 1 // आ भरत क्षेत्रमा पृथ्वी रूप स्वीना मणिकुंडल रूप कुंडल नामर्नु नगर छे, त्यां विक्रम नामनो राजा राज्य करतो हतो. // 2 // तस्य शीलवती नाम, ललना शोलशालिनी // पुष्पपूजाकरो लक्ष्मीधरस्तत्कुदिमाययो॥३॥ स तेया समये जातः प्रातस्तऊनॅनोत्सवम् // कृत्वा विजयचंज्ञख्या, विहितास्य महोनूजा // 4 // ___ ते राजाने शीलथी सुशोभित एवी शीलवती नामनी स्त्री हती. हवे जिनेश्वरनु पुष्पवडे पूजन करनार ल.. क्ष्मीधरनो जीव तेना उदरने विषे आव्यो. // 3 // शीलवतीये अवसरे सवारमां तेने जन्म आप्यो एटले राजाये जन्ममहोत्सव करीने तेनुं विजयचंद्र नाम पाडयु. // 4 // पाल्यमानः संयत्नेन, रत्नेन सम कांतिनाक् // हर्षदः पिर्तृमातृन्यां, पंडर्षीयोऽनवक्रमात्॥५॥ अन्येयुर्विक्रमो नूपस्त्रि विक्रमसमोऽरिषु // सन्नां विषयामास, मंत्रिसामंतपूरिताम् // 6 // _यत्नथी पालन करातो, रत्नना सरखी कांतिवालो अने माता पिताने हर्ष आपनासे ते पुत्र अनुक्रमे छ वपनो थयो. // 5 // कोइ वखते शत्रुओने विषे त्रिविक्रम समान विक्रम राजा मंत्री अने सामंतोथी भरपूर एवी सभामां वेठो हतो. // 6 // Jun Gun Aaradhak Trust