________________ P.P.A. Gunratnasuti MS पने लइने लोको नाना कहेता हता एटलामा पोताना माथा उपर ढोली दीधो.॥२७७॥ तेथी ते पद्मना सर्व अंगो तुरतज रही गया. ते वात सांभलीने जयंती ते पुत्रने उपाडी पोताने घेर गइ. // 278 // पछी धनराजने राज्या भिषेक थयो एटले वासव भूपतिये गुरु पासे संयम लई पोतानुं कार्य साध्यं. // 279 // ते धनराज राजा पृथ्वीने पालन करवा लाग्यो एटले देशो सुखवंत थया अने निरंतर सुभिक्ष थयु.॥२८० // हवे पांचाल देशमा कांपील्यपुर नगरने विषे धनराजनो द्वेषी एवो वैरी शल्य राजा राज्य करतो हतो. // 281 // ए राजाए गोस्य॑ितानि तेस्य सर्वाण्यंगानि तत्कणमेवै हिँ तिच् त्वा सौ जयंती तैमुत्पाद्य संदनं ययौ॥७॥ राज्यानिषेके संजाते, धनराजस्य नूपतिः॥ गुरोःसंयममादाय,निजकार्यमसाधयत्॥ धनराजमहीपाले, तेस्मिन् पालयति दितिम् // देशा न मुक्ता सौख्येन, सुनिक्षेण च सर्वदा॥ ईतश्च देशे पांचोले, कॉपीब्यपुरपत्तने // धनराजप्रतिषी 'वैरीशल्यो नृपोऽनवत् // 1 // गोशीर्षचंदनोद्भूतं, वासं वासितविष्टपम् // विषमिश्रं विधायांसौ, स्वनरान् प्रत्यनाषयत् // वैणिग्वेषधरैर्वृत्वा, मथुरा पुरी गम्यताम् // वैरिधीतकरो वासः, कर्तव्यः पात्रतोपरि // 3 // अनेन घातमात्रेण, गते यामदये सति // तत्कणं प्राप्यते मृत्युरिदं नवति नौन्यथा ॥धा वैरी' जेनीयते वास, यावत्तावत्सन्नांतरे // स्थातव्यमन्यथा मृत्युनविता नवतामपि॥५॥ इति शिक्षा स्वयं दत्वा, वैणिग्वेशधरान् नरान् ॥प्रेषयामास मथुरापुर्यां ते च समागताः // शीर्ष चंदनथी उत्पन्न थयेलां अने मंदिरने सुगंधवाला करनारा वस्त्रने विषे मिश्रित करी पोताना माणसोने कह्यु के. // 282 // तमे वेपारीनो वेश धारण करी मथुरापुरी प्रत्ये जाओ. त्यां तमारे वैरीनो नाश करनारं आ वस्त्र भेट करवू. // 283 // आ वस्त्रने मुंघवा मात्रथीज बे प्रहर गये छते तुरत मृत्यु थायछे. ए बीजी रीते थवान नथी.॥२८४ // ज्यां सुधी शत्रु आ वस्त्रने मुघे त्यां सुधी तमारे पण सभामा बेस. नहि तो तमारुं मृत्यु थशे. // 285 // आ प्रमाणे पोते शिखामण आपीने वेपारीना वेशने धारण करनारा ते माणसोने मथुरा Jun Gundadak Trust