________________ PPGUMS आपो." // 260 // पछी योगी चूर्ण आपी " आ चूर्ण मस्तक उपर नाखवाथी गांडापणुं थायछे." एम कहीने ते चाल्यो गयो. // 261 // पछी ते चूर्ण मुठीमा राखी जयंती हर्ष पामती त्यां वेठी, एवामां धनराज क्रीडाथी रमतो रमतो त्यां आव्यो. // 262 // जयंतीये दंभथी वे धनराजने बोलावी तेना माथा उपर चूर्ण नाख्यु; परंतु तेना पुण्यप्रभावथी ते वृथा थयु. // 263 // कपटवाली ते जयंतीनो पुत्र पद्म पण त्यां आव्यो, तेथो तेणे तेने चुंबन करतां स्नेहथी हाथवडे तेना माथानो स्पर्श करयो. // 264 // ते जयंतीना हाथमां आंगलांनी चूर्ण दैत्वा स च प्रोचे, दिप्तेनाननं मस्तकाहिलत्वं भवत्ये "वेत्युक्त्वा 'योगी जैगाम सं॥ तेच्चूर्ण मुंष्टिगं कृत्वा, सा प्रीता तंत्र तस्थुषी // ईतश्च धनराजोऽत्र, समागात् क्रीडया रेमन् // सा तं देनासमाहूय, चूर्ण चिकेप मस्तक॥ तस्य पुण्यप्रनावण, तध्ययं समजायत॥२६३॥ बैद्मवत्याःसुतस्तस्या, अपि पद्मः समागतः॥सा तं पैस्पर्श चुंबती, 'स्नेहारिसि पौणिना अंगुल्यंतरगं किंचिच्चूर्णं तस्याः करे स्थितम् // तेनापि पंतितेनासौ,तत्क्षणं दिलोऽनवत् // रुदंती चोरैमातेवं, प्रेञ्चनं स्वं निनिंद सा // ईतच धनराजोऽपि, तोरं तारुण्याश्रितः॥६६॥ पुत्री मंत्रिवरस्यांसौ, नूपेन परिणायितः॥ कीडतं च तया वीट्य, जयंती "चिखेदे हदि // तेतः स्वराज्यदानाय, धनराजस्य नूंपति // मुंहूः गणयामास, गणकैर्गुणबंधुरम् // 6 // वचमा काइक चूर्ण चोटी रयुं हतुं, ते पद्मना माथा उपर पडवार्थी ते पद्म तुरत गांडो थई गयो. // 265 // पछी चोरनी मानी पेठे रुदन करती ते जयंती गुप्त रोते पोतानी निंदा करवा लागी. एवामां धनराज पण उत्तम एवी युवावस्था पाम्यो. // 266 // वासव राजाए धनंजयने पोताना श्रेष्ठ प्रधाननी पुत्री साथे परणाव्यो अने पछी ते प्रधान पुत्रीनी साथे धनंजयने क्रीडा करतो जोई जयंती मनमा बहु खेद पामवा लागी. // 267 // पछी राजा वासवे, धनराजने पोतानुं राज्य आपवा माटे जोशीयोनी पासे उत्तम गुणवंत मुहूर्त जोवराव्यु // 268 // Jun Gu r u