________________ गुणण // 33 // PP.AC.GunratnasunM.S. // 252 // पछी मंत्रीये शेठने बोलाव्यो एटले राजाए शेठ पासे ते धनश्री कन्या- मागु करयु. पछी शेठे आ चरित्र.. पेली ते कन्याने राजा सारा दिवसे परण्यो. // 253 // पछी वासव राजानुं मन धनश्रीने विषे प्रीतिवालुं जोइने वैजयंती ध्वजानी पेठे जयंती कोइ ठेकाणे स्थीरतापणं पामी नहि.॥ 25 // हवे जेम नंदनवनमां कल्पवृक्ष जन्म धारण करे तेम ते वासपूजा करनार चित्तनंदन धनश्रीना उदरने विषे अवतरयो. // 255 // पछी अनुक्रमे धनश्रीने पुत्र थयो एटले राजाए महोत्सव करीने “धनराज" एवं प्रीतिनुं स्थान नाम पाडयु.॥२५६॥ आकारितस्ततः श्रेष्टी, तसे कन्यां ययाचताय तेन प्रदत्ता सौ, नेपेणोढी शुन्ने दिने" घनश्रियां मनस्तस्य, रोझो दृष्टानुरोगन्नाग // जयंती वैजयंतीव, स्वयं प्रॉप न हि"क्वचित् // वासपूजाकरश्चित्तनंदनारयो धनश्रियाः // लेनेऽवतारं कुदौ स, नंदने कल्पवृक्षवत्॥५॥ धनश्रिया सुते जाते, नॅपः कृत्वा महोत्सवम् // धनराज ईतिप्रीतिधाम नाम विनिर्ममे"॥ कियन्मात्रेषु घस्त्रेषु, जयंत्या अप्यनूत्सुतः // तस्यौसीत्पद्म इत्याख्या, प्रवितोमुन्नौ सुतौ॥ लेखेशालागमाहौं तौ', जयंती वीदय देध्युषी ॥धनश्रियाः सुतो वृशे, मम पुत्रो लघु पुनः॥ वृहत्वानराजाय, रोजा राज्यं प्रैदास्यति // नत्पादयामि तत्किंचित, 5षणं तस्य सांप्रतम् // ध्यात्वेति योगिनं किंचिदाकार्य कपटे पैटुंम्॥नुशावय॑सा 'प्रोचे, किंचिचूर्णादि दीयताम् / केटलाक दिवसो गया पछी जयंतीने पण पुत्र थयो तेनुं “पद्म" एवं नाम पाडयु. अनुक्रमे ते वन्ने पुत्रो वृद्धि / पामवा लाग्या. // 357 // जयंती लेखशालामा जवाने योग्य एवा ते वन्ने पुत्रोने जोइ विचार करवा लागा के, "धनश्रीनो पुत्र म्होटो छे अने म्हारो पुत्र न्हानो छे. // 258 // राजा वृद्ध होवाने लीधे धनराजने राज्य आपशे, माटे हवणां धनराजने काइ दुषण उत्पन्न करूं." // 259 // आ प्रमाणे विचार करी जयंतीये करवामां कुशल एवा कोइ योगीने वोलावी अने तेनो बहु सत्कार करीने कडं के, "मने कांइ चूर्णादि वस्तु // 33 // Jun Gun A nak Trust .. ]