________________ गुण // 3 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. KEXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXKKKK धर्म अंगीकार करयो. // 237 // पछी अवसरे पितानुं राज्य पामी अने पृथ्वोनुं दीर्घकाल सुधी पालन करी चरित्र, तेमज अंते चारित्र पाली ते सुदत्त सौधर्म देवलोकमां देवता थयो. // 138 // (नरवर्मा केवली गुणवर्मा राजाने कहेछे के ) हे भूपाल ! ए सुदत्त दीर्घकाल सुधी देवलोकनुं सुख भोगवी अने पछी त्यांची चवीने त्हारो त्रीजो हरि नामनो पुत्र थयो छे. काले राज्यं पितुः प्राप्य,पालयित्वा चिरं नवमाप्रेपाट्य संयमं प्रीते, सौधर्मे त्रिदेशोऽनवत् // 'चिरं सौख्यान्य सौनुवत्वा, देवलोकात्ततश्युतःतेतीयो हरिनामानूतनयस्तव नूपते // 3 // // इति वस्त्रयुगल पूजाधिकारे सुदत्त कथा // वासपूजा कृता येने, फेलं तरय निगद्यते // अत्रास्ति नरतत्रे, मथुरानगरी किलं // 24 // नूपतिर्वासवरतंत्र, नवीन इव वासवः॥ जयंती वैजना तस्य, जयंती रूपतः श्रियम्॥५१॥ अन्यदा नारदः शौवैयजितशारदवारिदः // पारदयतिराँयासीढीदितुं नूपसंपदम् ॥श्व॥ * रोझा संमान्य सँ 'प्रोचे, किमयाँश्चर्यमीक्षितम् // सोऽवादीनपतेनमिविविधौश्चर्यसंकुला // इत्युक्त्वा सहसोत्पत्य, जयंती नृपवजन्नाम् // वोक्तितं स ययौ किंत, से तैया "नोपलदिती॥ जेणे वासक्षेपथी पूजा करीछे, तेनुं हुं कहुंछं. आ भरतक्षेत्रने विषे मथुरा नामनी नगरी छे. // 240 // ते नगरीमा नवीन इंद्रना सरखो वासव नामनो राजा राज्य करतो हतो. तेने रूपथी लक्ष्मीने जीतनारी जयंती नामनी स्त्री हती. // 241 // कोइ वखते उज्वलपणाथी जित्यो छे शरद रूतनो मेघ जेणे एवा तथा पाराना समान कांतिवाला नारद राजा वासवनी संपत्ति जोवा माटे आव्या. // 242 // राजाए सन्मान करीने नारदने पूछयु. “मुनि! आपे काइ आश्चर्य जोयुंछे ?" नारदे उत्तर आप्यो के, "हे राजन्! पृथ्वी विविध प्रकारना आ__ श्चर्यवाली छे," // 243 // एम कहीने नारद तुरत त्यांथी उठी राजस्वी जयंतीने जोवा माटे अंतःपुरमां गया; प * // 3 // Jun Gun Aaradhak Trust