________________ PPA Gunnast MS 1 // 228 // राजाए कहूं. "तो सवारे फरी उज्वल एवां वे वस्त्र लावबां." एम कही राजाए प्रथमनां आवेलां ते बन्ने वस्त्र पोतानी पासे राख्यां. // 229 // सवारे फरीथी वोजां वे वस्त्र प्राप्त थये छते ते क्षेमंकर राजाए पोते तेने आभूषण रूप करीने कुमारनो सत्कार करयो. // 230 // पछी तेवा वेशने धारण करनारा राजा अने कुमार बन्ने जणा सभा मध्ये एकठा थयेला धर्म अने अर्थनी पेठे शोभता हता. // 231 // ते वखते आर्यरक्षित नामना चार ज्ञानना धारणहार मुनि आव्या. राजा तेमने वंदना करवा गयो.॥२३॥ कुमार सहित राजाए ते तेतः प्रातः पुनर्वस्त्रद्वयमानेयमुज्वलम् // इत्युक्त्वा स्थापयामास, पूर्वीयातं नरेश्वरः 22 // पुनर्वस्त्रद्वये प्रातः, संप्राप्ते से महीपतिः // तन्नेपथ्यं स्वयं कृत्वा, कुमारायान्वमन्यत // 330 | महीपालकुमारेझे, तेत्तादग्वेशधारिणौ // विरेजाते सन्नामध्ये, धर्मार्थाविवं संगतौ // 231 // आर्यरक्षित इत्याख्या, वहन्नागान्मुनिस्तदा।चतुर्सानधरस्तं च,वंदितुं' पतिर्ययौ // 23 // कुमारसहितो नूपस्तं नत्वा धर्मदेशनाम्॥श्रुत्वा पॅपच्छ वत्सस्य,"किमेवं लाग्यमनुतम्॥२३३ मुनिः पूर्वनवं प्रोचे', नगरे हस्तिनापुरे॥श्रेष्टिनो धनदत्तस्य, सुंदत्ताख्यः सुतोऽर्जनि॥२३॥ | पूजायां क्रियमाणायां, यदनेन जिनेशितुः // विहितं वस्त्रयुगलारोपणं नावशालिना // 23 // | तेनं पुस्येन नूपाल, त्वत्कुलेऽसौ समागतः॥ वस्त्रदयं प्रदत्ते स्मै, श्रीदेवी च नैवनम् // इति श्रुत्वा कुमारोऽत्रै, जोतिस्मृतिमुपागतः॥विशेषार्ममार्हतं, प्रेपेदे मुंनिसंनिधौ॥२३॥ * मुनिने नमस्कार करी अने धर्मदेशना सांभलीने पूछयुं के, " हे मुनि !आ पुत्रनु आव॒ अद्भुत भाग्य शी रीते ?" // 233 // मुनिये तेनो पूर्वभव कह्यो के, " हस्तिनापुर नगरने विषे धनदत्त शेठने सुदत्त नामनो पुत्र थयो हतो. // 23 // पूजा करवा मांडथे छते भाववंत एवा ए सुदत्त पुत्रे जिनेश्वरनी उपर बे वस्त्र चडाव्यां हतां. // 235 // हे राजन् ! ते पुण्यथी ए मुदत्त तमारा कुलमां उत्पन्न थयो अने एने लक्ष्मीदेवो नवां नवां ववे वस्त्र आपे छे." // 236 // मुनिनां एवां वचन सांभली कुमार जातिस्मरण ज्ञान पाम्यो, तेथी तेणे मुनिनी पासे विशेषे अरिहंत Jun Gun Aaradha Trust