________________ गा गुणण P.P.A. Gunratnasuti MS KXXXXXXXXXXXX लीने आ प्रमाणे विचार करवा लाग्यो के, “जो पोताना माणसथी पण गौरव नथी तो पछी अल्प वस्तुथी शृं? // 220 // आ प्रमाणे विचार करतो एवो ते राजकुमार दिवसने निवृत्त करी रात्रीये सूतो. पछी सवारे जागी उठेला तेणे पोताना शिंगे ते बन्ने वस्त्र दीठां.॥ 221 // "आ कौतक शुं?" एम चित्तमा विचार करतो ते रत्नध्वज तुरत ते बन्ने वस्त्र लइ राजसभामां गयो.॥२२२॥ त्यां राजानी आगल ते वन्ने वस्त्र मूकीने “आ अंगोकार करो." एम कुमारे कयुं एटले राजा विचार करवा लाग्यो के // 223 // "शुं चारण पासेथी पाछां लइने / इति ध्यायन दिन नीत्वा, निशायां सुप्तवानसौ // प्रातः बुशेऽपयत्तेचीरयुग्मं शिरस्तले॥ किमतत्कौतुकं चित्ते', चिंतयन्निति सत्वरम् // वस्त्रयुग्मं समादाय, स ययौ नृपसंसदि 222 पुरो विमुच्य तवस्त्रयुग्मं स्वीक्रियतामिति ॥कुमारे जल्पति मापश्चिंतयामास चेतसि 223 गृहीत्वा मागधादेव किमिदं दीयते मम // मांगधर्श्व तदैवागाँवस्त्रद्वयविनूषितः ॥श्वा नवीनं घटतीत्येतदिति ध्यात्वा पोऽवदत् // किमर्थं क्रियते वत्स, वैहु इयव्ययो वृंथा // बहुनि राजकार्याणि, सर्वत्रापि धनव्ययः॥गृहीताचं नटाहस्तितुरंगाः कार्यकारकाः॥२६॥ पुत्रोऽवादीदिह व्यव्ययो ने जियते मया // पृच्छतां कोऽपि' केनापि', देतं वस्त्रद्वयं मम॥ तेतः कुतः समायाति, नवं नैवमिदं तव // पुत्रः प्रोवाच संतुष्टा, 'दत्ते श्री देवता मम 27 आ बन्ने वस्त्र मने आपवा आव्यो छे." आम राजा विचार करेछे एटलापां तेज वखते पोताने मलेला बन्ने वस्त्रधो सुशोभित बनेलो मागध पण सभामां आव्यो. // 224 // पछी "आ कुमार पासे रहेलां वस्त्र नवोन छे." एम धारी राजाए कह्यु. “हे वत्स! तुं शा माटे फोगट बहु धननो खरच करे छे ?" // .225 // राजकार्यो बहुछे अने सर्व स्थानके धननो खरच करवो पडे छे. वली कार्य करनारा सुभट, हाथी, घोडा लोधा छे. // 26 // पुत्रे कह्यु." अहिं में धननुं खरच करयुं नथी. पूछो, कोइये पण मने ते वन्ने वस्त्र आप्यां छ?" // 227 // राजाए कह्यु. "तो त्हारे आ नवां नवां वस्त्र क्यांथी आवे छे?" पुत्रे का. प्रसन्न थयेली लक्ष्मीदेवी ते मने आपे छे." // 2 // *****KXXX******XXXXXXXXX Jun Gun Aaradhak Trust . POR