SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 64
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुण DEON PP.AC.Gunratnasus M.S. न करवा लाग्यो के, “निश्चे ते दिव्य नाटक हतुं. // 203 // मंदिरनी मध्यमां आवीने त्यां मूर्तिने शोधता एवा चरित्र ते राजकुमारे पोतानी सन्मुख सिंहासन उपर बेठेलां लक्ष्मीदेवीने दोठां.॥२०४॥ “घर प्रत्ये रहेलाने इष्ट फल आपनारो हे लक्ष्मीदेवी!' एम कहोने राजपुत्र त्यां आसन पाथरोने सूतो.॥ 205 // पछी ते राजकुमारना पुण्यना वशथी प्रसन्न थयेली लक्ष्मीदेवीये सवारना वखते हर्षथी दिव्य वे वस्त्र तेना खोलामां मूक्यां. // 206 // पछी सवारे ते मनोहर दिव्य बे वस्त्रने जोइ रत्नध्वजे तेज वखते एक वस्त्र पहेरयुं अने एक पासे राख्यु.॥२०७॥ मध्येनवनमागत्य, तंत्र मूर्ति गवेषयन् ॥पुरो विलोयलक्ष्मी, देवतामासनस्थिताम् // 4 // हेलक्ष्मी देवते गेहमासीनः कामितप्रदे // इत्युक्त्वों पूरयामासासँनं तत्रै नूपन्नूः // 5 // तेस्य पुण्यवशात्प्रोता, प्रैनातसमये रैमा // दिव्यं वस्त्रद्वयं रंगाऽत्संगाश्रितमातनोत्॥२०६॥ प्रातर्विलोक्य तद्वस्त्रद्वंद्व दिव्यं मनोहरम् // अंतरीये कैरोतिस्म, "वोत्तरीय तदेव सः॥७॥ तैत्ताहग्वेषधारी सँ, 'मित्रैः सह पुरं गतः // सन्नायां नूपतेराँगात्पनीनरविन्नाकरः // 20 // नत्वा निविष्टं तं नूपः स्पष्टमाचष्ट किं नवान् // वने तस्थौ यतो दोस्य सौख्यं नैवति देवतः॥ पुत्रः प्राह ततस्तात, "नैवं प्रायः करिष्यते // नेपोऽयं वीक्ष्य तेद्वस्त्रे, 'तषं हृदयं देधौ॥ स्वामिवेशाधिको वेशोऽन्येषामिद ने युज्यते // अयं स्वयं न जानाति, तत्पुरः कस्य कथ्यते॥ A तेथी तेवा वेशने धारण करनारो अने तेजना समूहथी सूर्य समान ते राजकुमार मित्रो सहित नगर प्रत्ये आवी ने राजसभामां आव्यो. // 208 ॥त्यां पिताने नमस्कार करी वेठेला ते राजकुमारने भूपतिये स्पष्ट पूछयु के, "तुं शुं बनने विषे रह्यो हतो के, जेथी तने हाथमा रहेढुं सुख दैवी प्राप्त थयुं?' // 20 // पछी पुत्रे कयुं. " हे तात! हवे घणुं करोने हुं ए प्रमाणे नहि करूं." पछी राजाए ते वने वस्त्र जोइने मनमा तेनो द्वेप राख्यो. // 210 // * * अहीं वोजाओने राजाना वेशथी अधिक वेश न घटे; परंतु ते वात आ पोते जाणतो नथी, तेथी ते वात कोनी Jun Gun Aaratha Trust
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy