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________________ * PP Guru MS छे, एकारण माटे आपुत्रनुं 'चंदनसार' एवं नाम पाडयु.॥१६१॥ पछी चंद्रशेखर अने चंद्रे अनुक्रमे वृद्धि पामेला तथा कलामां प्रविण एवा ते चंदन सारने युवावस्थामां कमला नामनी राजपुत्री साथे परणाव्यो.॥१६॥कोइ वखते दैवयोगथी चंद्रशेखर राजाने रात्रीदि वस दुःख आफ्नारोदाहज्वर उत्पन्न थयो. // 163 // ते वखते जोशी लोको राजाने सूर्यादि गृहोए करेली पीडा,वैद्यो रोगथी थयेली पीडा अने मंत्रशास्त्री लोको भूतथी थयेली पीडा कहेवा लाग्या. ॥१६॥पाणी, वेलुनुं घर,चंदन अने चंद्रमा ए सर्वे पण ते राजानी पीडा शमाववाने समर्थ थया नहि.॥१६॥ए / वईमानः कमातान्यां, कलाकौशलबंधुरः॥ तारुण्ये कमलाराजपुत्र्याँसौ परिणायितः॥१६॥ अन्यधुंदैवयोगेन, चझोखरनूपतेः // दाहज्वरः समुत्पेदे, दिवारात्रौ हि खदः // 163 // संवत्सरा गृहकृतां, वैद्यार्श्व व्याधिसंन्नवाम् ॥मांत्रिका नूतसंनूतां पीडामाहुर्महीपतेः॥१६॥ सलिलं वालुकासमं, चंदनं चापि चश्माः॥तापं शमयितुं शक्ता, नोवंस्तस्य नृपतेः॥१६॥ नीतायामपि एमास्यां, स्वप्नं लेने नराधिपः॥ वेत्रीति कुलदेव्याह, दौहित्रश्चंदनोऽस्ति ते" तेस्य हस्तेन संघृष्टय, चंदनेन विलेपनम् // कार्य सर्वांगमेतेन, तापः शांति मुंपैष्यति॥१६॥ स्वप्नं लब्ध्वा प्रबुशेऽय,प्रातर्जूपैः प्रकाश्य तम्॥ दौहित्रं निजमाकार्य,विलेपैनमकारयेत्॥१६॥ शांततापे सैति मापे, प्रावतत महोत्सवाः॥ आशीर्वचांसि देदिरे चंदनाय जना मुदा १६ए . चतुर्सानधरोऽत्रागोन्मुनिमुनिस्तदा // तं नं"चं ययौ राजा चश्चंदनसंयुतः // 17 // प्रमाणे छ मास निवृत्त करथा, एवामां राजाए स्वप्न जोयुं तेमां द्वारपाल रूप कुलदेवीये एम कडं के, " त्हारे / चंदनसार नामनो दौहित्र (पुत्रीनो पुत्र ) छे. // 166 // तेना हाथथी चंदन घसावीने सर्व अंगे चोपडवू; तेयी ताप शांति पामशे.॥ 1.67 // आवा स्वमने पामीने पछी सवारे जागी उठेला राजाए ते स्वमनी वात कहीने पोतानी पुत्रीना पुत्रने बोलावीने पोताने शरीरे विलेपन कराव्यु.॥१६८॥ राजा दाहज्वरथी शांत थयो एटले महोत्सवो थवा लाग्या अने माणसो हर्षथी चंदनसारने आशीर्वाद आपवा लाग्या. // 169 // ते वखते Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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