________________ गुण a PP.AC.Gunratnasuri M.S. ल्यो गयो एटले चंद्रे पोतानी पासे फक्त शबने जोइने पोकार करयो. // 153 // सवारे स्वजनो भेगा यया चरित्र. म एटले ते पितानुं प्रेत कार्य करी अनुक्रमे शोक रहित थयेलो चंद्र चंद्रावती नगरी प्रत्ये गयो. // 15 // त्यां ते बगीचादिकने विषे निरंतर चंद्रावतीनी साथे क्रीडा करतो छतो लीलाथी देदीप्यमान बहु दिवसोने निवृत्त करथा.॥१५५ // कोई वखते चंद्रावली कोइपण रोगथी पीडायुक्त थइ; तेथी तेना शरीरे दुर्गध थवा लागी अने तेथी तेना पिता अने पति बहु दुःख पामवा लाग्या. // 156 // पछी पिता अने पतिये वहु मंत्र तंत्र अने औमिलिते स्वजने प्रातः, प्रेतकार्याणि तस्य सः॥ कृत्वा मेण निःशोकः,पुरी चंज्ञवतीमगात् / | चंज्ञवल्या समं कीडनांकीडादिषु सोऽन्वहम् // वासरान् गमयामास, लीलातिशयनासुरान् // विकारेणान्यंदा चशवली केनापि बाधिता // जाता धुगंधता देहे, पिता नर्ता च खितौ॥ कारयामासतुमंत्रतंत्रौषधपरंपराम् // दिनमेकं गुणे इष्टे, जातो दोर्षस्तथैवें सः // 15 // चके विलेपनं यः प्राग्वसत्तानिधःपनोः॥ सोऽवातरर्तदा तस्याः, कुदो हंसें इवांबुजे॥१५७ तस्मिन्नुत्पन्नमात्रेऽस्या, गंता धुगंधता देणात् // मध्यस्थचंदनेने, प्रत्युतान्त्सुंगंधता // 15 // | तोते कांते चं हृष्टे सा समये सुषुवे सुतम् // चंण स्वसुरेगोपि, केतास्तस्य महोत्सवाः // अनेन चंदनेनेव, कृता मातुः सुगंधता // अतोऽस्य चंदनसार, 'इति नाम "विनिर्मितम् // पध कराव्यां, परंतु एक दिवस गुण देखाया पछी फरी तेज रोग प्रगट थाय. // 157 // (श्री नरवर्मा केवली - गुणवर्मा राजाने कहेछे के,) हे राजन् ! पूर्वे वसुदत्ते जिनराजने विलेपन करयुं हतुं, तेज ते वखते कमलने विषे हंसनी पेठे ते चंद्रावलीना उदरने विषे अवतरयो. // 158 // ते पुत्र उदरमा आव्यो त्यारथीज ए चंद्रावलीनी दुर्गध तुरत जती रही अने वनमां मध्यभागमा रहेला चंदनवृक्षथी जेम वन सुगंधीवालुं थाय तेम उलटी ते सुगंधी शरीरवाली थइ.॥१५९॥ पछी पिता अने चंद्र हर्ष पाम्ये छते ते चंद्रावलीये अवसरे पुत्रने जन्म आप्यो, जेथी चंद्रे अनेसासरा एवा चंद्रशेखरे ते पुत्रना जन्म महोत्सव करया.॥१६०|आ पुत्रे चंदनवृक्षनी पेठे माताने सुगंधवाली करी Jun Gun Aaradhak Trust