________________ PPA Gunratnasuti MS आनंद आपनारं जीवितदान आप्यु छे." // 128 // पछो राजाए प्रधानांनी साथे विचार करीने हर्षथी पोतानी चंद्रावली पुत्री सहित अर्धं राज्य चंद्रने आप्यु. // 129 // पछी राजमंदिरनी समीपे तेना मनोहर महेलमां रहेला ते चंद्रना पितानो कोई वखते चंपानगरीथी पत्र आव्यो, ते पत्र चंद्रे वांच्यो. तेमां एम लख्यु हतुं के, // 130 // आ पत्र वांचीने एक वखते त्हारे पाणी पीवाने पण न रोकातां तुरत आर्हि आवदूं." पछी पितानी पासे जवामा उत्साहवंत एवा चंद्रे ते वात चंद्रशेखर राजाने कही. // 131 // पछी राजानी आज्ञाथी ते सांत्र चंद्रावलीने मूकीने चाली निकल्यो अने मार्गने विषे जता एवा तेणे कोई एक नदीने कांठे पडाव करीने दीवआलोच्य मंत्रिनिःसाई, राज्याई मुदितो देदौ ॥'चंशय सुतया चंज्ञवल्या साकं नरेश्वरः॥ रोजसौधांतिके रम्ये, मंदिरे तस्य तस्थुषः॥ आययौ तत्पितुलेखश्चंपातः 'सोप्यवांचयत् // अपीत्वा नीरमप्याशु, त्वयागंतव्यमेकदा // असौ तेत् झापयामास, भूलुजे गैमनोत्सुकः॥ मुक्त्वा चंज्ञवली तंत्र, नृपेणानुमतोऽचलत् ॥गछन् पथि नदीतीरे,स्थित्वासौं दिनमत्यंगात्॥ संध्यायां सरितो दूर, गतः सं त चिंतया // देदे दती कांचिदंगनां शांखिनस्तले // 133 // का त्वं रोदिषि तेनोक्ते, सा जंगौ एंवहं नंदी // अईरात्रे महापुरो, नेद्यामंत्र समस्यति // यास्यति प्रलयं सर्वो, लोकस्ते नैवं रोदिमि // श्रुत्वेति सत्वरं चचचाल संपरिच्चदः 135 पृष्टीतै जनैःप्रोक्तं श्रुत्वा पुरसमागम् // चशेर्दध्याहो कीदृगुपकारः कृतस्तया // 136 // सने निर्गमन करयो. // 132 // पछी ते चंद्र संध्या वखते नदीथी केटलेक दूर कायचिंता माटे गयो, त्यां तेणे वृक्षनी नीचे रुदन करती एवी कोई स्त्री दीठी. // 133 // पछी "तु कोण रुवे छे ? " एम ते चंद्रे पूछयुं एटले ते स्त्रीये कह्यु के, " सांभल. हुं नदी छु. आ नदीमां अधिरात्रे महापुर यावशे. // 134 // तेमां आ सर्वे लोको नाश पामशे. तेज कारणे हुं रुदन करुं छु." ते स्त्रीनां आवां वचन सांभली परिवार सहित चंद्र त्यांची तुरत चाली निकल्यो. // 135 // पछी जता एवा मुसाफर लोकोने पूछवा उपरथी तेओए नदीमां आवेला पुरनी Jun Gun Aaradhak Trust