________________ चरित्र. PP A. Gunanasu MS गुण तो सारूं." आम विचार करी तेणे सर्व वस्तु वेची नांखी.॥ 120 // पछी ते राज्यने योग्य एवा पांच रत्न लई सवारे प्रतीहारनी रजाथी राजानी सभामां आव्यो. // 121 // राजाए ते रत्नो जोई तेनुं बहु मान्य करयु अने पूछयु के, तुं कोण छे ? अने क्याथी आव्यो छे ?" पछी चंद्रे राजाने का. // 122 / / हुं चंपा नगरीथी आव्यो टुं, अने आहे वेपार करूं छु. वली म्हारे काइ महाराजानु हित कहे, छे, पण अवसर नथी." // 13 // राजाए कह्यु, " रहारे सांजना वखते आव." एम कहोने रजा आपवाथी ते पोताने ईच्छित स्थानके भोजन रत्नपंचकर्मादाय, राज्ययोग्यमसौ पेंगे // प्राप्तःसन्ना नरेंइस्य, प्रतीहारनिवेदितः // 11 // राज्ञासौ तेर्थे रत्नेषु दृष्टेषु बहुमानित : // 'कस्त्वं कुंतः समेतश्चर्युचे से प्राह नूपतिम् 122 अहं चंपात आयात हास्मि व्यवसायकृत्॥हित च स्वामिनः किंचिद्वाच्यं नावसरः पुनः॥ रोशोचे पश्चिमे योमे,त्वयागंतव्यमित्य॑सौ॥विसृष्टः स्वेप्सिते स्थाने,जुत्वाप्राप्तो नृपांतिकम्॥ प्रोक्तायां गूंपवा यां, जंगौ तं प्रेति नृपतिः॥ शयनं ने कॅरिष्यामो, धर्मण्यपि गृहाईहिः॥ तं विसृज्यं स्वरक्षार्थ नृपस्तस्यौ सचेतनः॥ तृतीयदिवसे रात्रौ, महान् कोलाहलोऽनि // अमुं कुरिकया हेत्वा,भृत्यं यात्ये धावत सुन्नटा धौविता यावत्तीवत्वापि" ययौ च सेः // प्रातः प्रीतिनरा पश्चाकार्य संसदि॥ जगौ में 'जीवितं देतं, जगदानंददायकम् // 1 // करी फरी सांजना वखते राजा पासे गयो. // 124 // त्यां तेणे राजानी बात कही एटले राजाए तेने कर्ष के, "धर्मकार्यने विषे पण हुं घरथी व्हार शयन करीश नहिं." // 125 // एम कहीराजा तेने रजा आपी पोताना रक्षणने माटे सावधान रह्यो. एवामां त्रोजे दिवसे रात्रीये म्होटो कोलाहल थयो. // 126 // पछी ते राजाये रा खेला सेवकने मारीने जतो छतो दोडवा लाग्यो. पछी जेटलामां राज सुभटो दोडया तेटलामां ते मारनार क्याई IAS पण जतो रह्यो, पछी राजाए सवारमा प्रीतिना उत्कर्पथी चंदने सभायां नोलाजी के "में मने जगतने XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Asa Trust पर।