________________ PPA Gunun MS करीश." एम हृदयमा विचार करीने ते चंद्रे सार्थ सज्ज करयो. // 111 // उत्तम बुद्धिवालो ते चंद्र पिताना रजा लइ चंद्रावती नगरी प्रत्ये जतो छतो अखंडित प्रयाणथी ते नगरी प्रत्ये पहोच्यो.॥ 112 // त्यां वेपारमा कुशल अने जिनधर्मने विषे तत्पर एवा ते चंद्रे वासणनी वखार भाडे लइ वेपार चलाव्यो. // 113 // कोइ वखते उनालानी रुतुमां कोइ कारणने लीधे ए चंद्र उद्यान्मां गयो हतो, एवामां प्रगट भयंकर वायु वावा लाग्यो. // 114 // चारे तरफ प्रसरता वायुथी वंटोलीयो थयो एटले ते चंद्र एक झाडनी नीचे उभो रह्यो एवामां संध्या | जनकस्यानुमत्या से, पुरीं चंशवतीं प्रति // गचनवचिन्नगमनस्तां अँगामानिरामधीः॥११॥ गहीत्वा नांडशाला से, व्यवसायविचक्षणः // अंकरो,व्यवसायं च जिनधर्मपरायणः॥११३॥ कदाचिग्रीष्मकालेऽस्य, वने केनापि हेतुना // गतस्य प्रगटा वातावली , विकैंटान्नवत् // धूलीरमणेमेवासीत्तया प्रसृतयोन्नितः॥ तरोमले स्थितस्यास्य संध्यायाः सेमयोऽनवत् // तेरोपरि संस्थायी, नूतो नूतं परं जगौ // अस्माकमाँगतं नूनं, महदेकं कुतुहलम् // 116 // चंज्ञवत्याधिनाथस्य, चाखेरन्नूपतेः // तृतीयदिवसे मृत्यु र्धातकस्य प्रवेशतः // 17 // मृते तस्मिन्नमात्याद्या, एतस्यांतःपुराणि च // वन्हिना मृत्युमाप्स्यंति, महदेतत्कुतुहलम् // श्रुत्वेति सहसोत्याय, चंशे नगरमागतः॥ आगत्य नांडशालायां, चिंतयामास चेतसि // 'येन केनाप्युपायेन, रक्षा स्याद्यादि घ्रपतेः तिथानव्यमिति ध्यात्वा,व्यकोणासर्ववस्तु से॥ समय थइ गयो. // 115 // ते झाडनी उपर रहेला एक भूते बीजा भूतने कयु के, “निश्चे अमारे एक म्होटुं कौतुक आव्युं छे. // 116 // आ चंद्रावती नगरीना चंद्रशेखर राजानुं त्रीजे दिवसे घातकना प्रवेशथी मृत्यु थवानुं छे. // 117 // ते राजा मृत्यु पाम्या पछी तेना प्रधान विगेरे अने अंतःपुर ए सर्वे अग्निमां प्रवेश करी मृत्यु पामशे. ए म्होर्से कौतुक छे." // 118 // भूतनां एवां वचन सांभली चंद्र तुरत उठीने नगरमां आव्यो अने वासणनी वखारे आवीने मनमा विचार करवा लाग्यो. // 119 // " जो जे ते उपायथी पण राजानो रक्षा थाय XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXII Jun Gun Asrachak Trust