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________________ चरित्र, PRAD, Gunratnasuri M.S. गुणण A बोल्यो के,“ मने विशेष धर्म संभलावो." // 103 // पछी मुनिये सम्यक्त्व मूल बार एवाय पण व्रत कह्या अने ते राजाए हर्षथी ग्रहण करयां. // 104 // पछी मुनिने नमस्कार करी घरे जई दीर्घकाल सुधी पृथ्वीनू पालन // करी अने छेवट पद्म पुत्रने राज्य आपीने ए मेघनाद राजाए चारित्र लीधुं. // 105 // (श्री नरवमो केवली गुणवर्माने कहे छे के,) हे राजन् ! संयमथो सौधर्म देवलोकने पामी अने त्यां सुख भोगवीने पछी चवी गयेलो ते मेघनाद त्हारो पहेलो प्रथम राजा नामनो पुत्र थयो छे. // 106 // तंतः सम्यक्त्वमूलानि, व्रतानि हादशापि हि // मनिरारोपयामास, जग्राह च मुदा नृपः। मुनि नेत्वा गृहं गत्वा, पालयित्वा चिरं नवम् // पद्मपुत्राय रोज्यं च, देवासी संयम ललौ॥ संयमात्प्राप्य सौधर्म, सुखं नुक्त्वा ततश्युतः॥ आद्यःप्रथम राजाख्यस्तायं नंदनोऽवत्॥ // इति स्नात्र पूजायां दत्तकथा.॥ कृतं विलेपनं येन, गतिस्तस्यार्थ कथ्यते // अत्रास्ति नरतत्रे, पुरी चपो गरीयसी // 17 // तंत्र श्रीनंदनो राजा, सोमश्रीस्तस्य च प्रिया // सोमैःश्रेष्टीचं तस्यासीईर्मादत्रीसितातिधीः श्रीमतीकुदिसंनूतश्चस्तस्य सुतोऽनवत् // निजान्वयनन्नोदेशे, नवीन इव चंमाः॥१०॥ साहित्ये लक्षणे तर्के, पन्नाषावपि कौशलम् // चशे बनव निस्तंमुपाध्याय प्रसादतः॥ अहं स्वकीयध्येणोपार्जितेन करग्रहम् // कस्मिीति हदि ध्यात्वा, सार्थः संयतिस्म सः॥ हवे जेणे प्रभुने विलेपन करयु छे तेनी गति कहुं छु. आ भरत क्षेत्रमा गरीष्ट एवी चंपा नामनी नगरी छे. // 107 // त्यांश्री नंदन नामनो राजा हतो,तेने सोमश्री नामनी स्त्री हती अने तेने धर्मने विषे निश्चल बुद्धिवालो सोम नामनोशेठ हतो.॥१०८॥ ते सोम शेठने श्रीमती स्त्रीना उदरथी उत्पन्न थयेलो अने पोताना वंश रूप आकाशना मध्यभागमा जाणे नवीन चंद्रमा होयनी? एवो चंद्र नामनो पुत्र थयो.॥१०॥ चंद्र अनुक्रमे गुरुना प्रसादथी साहित्य, लक्षण, तके अने छ भाषामा पण कुशल तेमज आलश्य रहित थयो॥११०॥ पछी "हं म्हारा पोताना मेलवेला धनथी विवाह Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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