________________ PPA, Gunnanasuti MS a करीने ते पुत्रनुं स्वप्नाना अनुसारथी 'मेघनाद' एवं नाम पाडयु. // 7 // पछी अनुक्रमे वृद्धि पामतो ते कु मार कलाधरनी पेठे सर्व कला शिख्यो, परंतु कपटरहित थयो. // 80 // पछी उत्तम-युवावस्था पामेला, स्त्रीयोने मनोहर, राज्यभारने धारण करवा समर्थ एवा ते पुत्रने जोइ राजा विचार करवा लाग्यो. // 8 // पलि आव्या पहेलांज सर्वे पूर्वजोए चारित्र लोधुं हतुं, म्हारे आवो धुरंधर पुत्र छतां आ राज्य करवं योग्य नथी. // 8 // ए प्रमाणे विचार करी ते आनंद राजा सवारे पुत्रने राज्य आपोने पोते दीक्षा लइ तपथी कर्म भेदी क्रमेण वैईमानोऽथ, स केलाधरवकलाः॥ संकलाः कलयामास, किंतु कालुष्यवर्जितः॥णा तारं तारुण्यसंप्राप्तं, मानिनीनां मनोहरम् // तं वीदय नृपतिर्दध्यौ, राज्यनारधुरंधरम्॥१॥ A अदृष्टपलिताः सर्वे, पूर्वजा जगृहुतम् // इदृशे सति पुत्रे में, रोज्यमेतत्र युज्यते // 2 // इति ध्यात्वा नृपःप्रातस्तस्मैराज्यं प्रदाय सः॥ दीक्षां 'गृहित्वा तैपसा, कर्म नित्वा शिवं ययौ॥ मेघनादमदीपाले, प्रजाः प्रालयति तितौ // देशा न मुंक्ता मेघेन, काले वृष्टिविधायिना। कराले ग्रीष्मकालेऽसौ, सिंहनामनरेश्वरम् // देशक्लेशकरं श्रुत्वा, चचाल सह सेनया // 5 // * मदाटव्यां गते 'सैन्ये, जलं पाप न कश्चन // नंदी नै निरा नोत्रं, पो नै सरोवरम् // शुष्यकंगस्तृषाक्रांताः, श्रांता ब्रांता वनेऽखिले // रत्नत्वं कथयामासुर्जलस्यैवं जनास्तर्दा // नांखी मोक्ष पाम्यो. // 83 // पृथ्वी उपर मेघनाद राजा प्रजानुं पालन करतो हतो ते वखते अवसरे वृष्टि करनारा मेघ कोइ देशोने वृष्टि करया विना त्यजो देता नहि. / / 84 // ए मेघनाद भयंकर उनालानी ऋतुमा सिंह नामना राजाने देशमां उपद्रव करनारो सांभली सेनासहित चालो निकल्यो. // 85 // अनुक्रमे सैन्य म्होटा अरण्यमां पहोच्यु, पण त्यां क्याई जल मल्युं नहि. ए महा अरण्यमां नदो, झरणा, कूवा के सरोवर काई नहोतुं. // 86 // सुकाई गयेला कंठवाला, तरसथी आकुल व्याकुल थयेला, सघका वनमां भटकवाथी थाकी Jun Gun Aaradhak Trust