________________ चरित्र // 2 // P.PA. Gunratnasuti MS गुण भरपूर एवं सरोवर दोठं. // 70 // तेज वखते राणीये पूछयुं एटले राजाए स्पष्ट कडं के, “हे देवी! हमणां लो- कमां दुकाल पडवानी वात चाले छे. // 7 // वळी जोशी लोकोए म्हारी आगल पण सर्व प्रकारे एमज कह्यु छे के, “मेघ वृष्टि करशे नहि, माटे धान्यादिकनो संग्रह करवो." / / 72 / / परंतु हे देवो! त्हारा आ स्वप्नथी मेघ दृष्टि करशे अने अमारा कुलने आभूषणरूप पुत्र पण अवतरशे. // 73 // पछी हर्ष पामेली राणी सुशोभित एवा पोताना स्थाने गइ. वली तेज अवसरे मेघो पण आकाशमां चडी आव्यो. // 74 // वीजलीयो झवकारा तदेवं च तया पृष्टः, स्पृष्टमांचष्ट पतिः॥ सांप्रतं विद्यते देवि, लोके निदसंकथा // 1 // सांवत्सरैमाप्यग्रे, प्रोक्तमस्तीति सर्वथा // वृष्टिं ने कर्ता पर्जन्यः कार्यो धान्यादिसंग्रहः 72 स्वप्नेनानेन ते देवि', मेघो वृष्टिं करिष्यति // अस्मदीयकलोत्तंसः पुत्रोऽप्यवतरिष्यति॥७३॥ IN ततोऽष्टा ययौ देवो, स्वस्थानं समलंकृतम् // तदैव जलदैश्चापि", गंगनं समलंकृतम् // 7 // फात्कारं विद्युतश्चक्रर्घना गर्जितर्मुर्जितम् // तत्र सर्वत्र देशेऽन्महीवृष्टिनिरंतरा // 7 // सरसीः सारसैः सारा, सरसा नीरसारसा // वारिदा वारिदानाय, विराविधुस्तदा // 6 // हदा तेदा नृपो ध्यावेहो स्वप्नस्य सत्यता // नाग्यवत्ता च पुत्रस्यार्वतीर्णस्य प्रियोदरे // 7 // | अथ पूर्णेषु मासेषु, सा रोझी सुंषवे सुतम् // सुंदरं शुनवेलायां, गुणलक्षणसंयुतम् // 7 // नृपस्तस्योत्सवं कृत्वा, जनैः प्रमुदितैः समम् // मेघनाद इति स्वप्नानुसारोदैनिधां दधौ॥९॥ करवा लागी, मेघो अतिशय गर्जना करवा लाग्यो अने त्यां मर्व स्थानके अखंडित महावृष्टि थइ. // 75 // वे वखते तलाव पक्षीयोथी श्रेष्ट थयां, जलकमलो सरस थयां अने मेघो जल आपवा माटे जाणवंत थया. // 6 // ते वखते राजा विचार करवा लाग्यो के, "अहो ! स्वप्ननु सत्यपणुं आश्चर्यकारी छे अने प्रियाना उदरने विषे अवतरेला पुत्रनु भाग्य पण आश्चर्यकारी छे. // 77 / / पछी मास पुरा थया एटले ते जयंती राणीये शुभ अवसरे गुण लक्षणवंत एवा सुंदर पुत्रने जन्म आप्यो. // 78 // राजाए हर्पदंत एवा माणसांनी माथे जन्ममहोत्सव Jun Gun Aaradhak Trust // //