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________________ गुणण चरित्र, P.P.A. Gunratnasuti MS णमात्रमा दरिद्रपणाने नाश करें छे. // 53 // वीजाए को. "तो निश्चे सिंहलीपने विषे जवं. कारणके, त्यां हाथीयोना वेपारथी म्होटो लान थाय. // 54 // तंज प्रमाणे विचार करीने घरे आवेला ते सर्वे कुमारोए समुद्र प्रत्ये जवानी महाकष्टथी पिता वगेरेनी रजा लीधी. // 55 // पछी ते वहाण तैयार करो अने तुरत शंकडा करोयाणाथी भरीने सारा दिवसे स्वजनोथी अनुसराया छता नगरथों चाल्या.॥५६॥ स्वजनोने रजा आपी अने वहाण उपर वेसी, हर्पथी तेओ थोडा दिवसेज सिंहलद्वीप प्रत्ये गया.॥५७॥ समुद्रने कांठे उतरी नगग्नी म. पेरोऽवग्गम्यतां तहि, सिंहलदीप एव हि॥ गजानां व्यवसायेन, मेहबानो यतो नैवेत्॥५॥ तथैव सर्वेऽप्यालोच्य, समुगमन प्रति // पित्रोद्यनुमतिं कॅप्टाङगृहर्गृहमागताः // 5 // 'बोहि सऊयित्वांशु, कैयाणकशतैरमी // आपुर्य सुदिने चेलुः, खंजनानुगताःपुरात् // 56 // विसुज्य खंजनांस्तोरदारुह्य वहनं मुदा॥ ययस्ते सिंहलदीपं, स्तोकैरवे "दिनैस्ततः॥५॥ नत्तीर्णास्ते बंधेस्तीरे, मध्यनगरमागताः॥ विक्रीणानाःयाणानि, व्यवसायं वितेनिरे"॥५७ दैवयोगानंदा तंत्र, राँझो रोगैzतो गेजाः। नेत्तायों ने गजो द्वीपोंदित्याझा च प्रवर्तिता॥५॥ अलान्नेन गंजानांते,स्थिताः षोडैशवत्सरीम् // ततोडमी खयमुनाज्य, ययुटीपं केटाहकम्॥ षोडशस्वर्णकोटीना, लान्नस्तेषामिहानवत् // ततः मुदिताः सर्वे, 'प्रेचेलुःस्वपुरं प्रति // 61 // अंतरा दैवतो वाताःप्रतीपा जझिरे बुधौ // ततःकंकपोत, नैदिप्तस्तुपुनःपुनः // 6 // ध्ये आवेला ते कुमारोए करीयाणाने वेचता छता वेपार चलाव्यो. // 58 // ते वखते त्या दैवयोगथी राजाना छोकरा रोगथी मृत्यु पाम्या अने तेथी "एक हाथी द्वीपथी वीजा द्वीप लेइ जवो नहि." एवी राजानी आज्ञा थइ. // 5 // // हाथीयो नहि मलवाथी तेओ त्यां शोल वर्ष रह्या. पछी एओ पोतानी मेले बंधु लइने कटाहक नामना द्वीपे गया.॥ 60 // अहिं तेमने शोल कोड सोना म्होरनो लाभ थयो; तेथी हर्ष पामेला तेओ पोताना न गर नरफ चाम्या... ..रमने मगरपां योगी तो Jun Gun Aaradhak Trust room.com TITIT
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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