________________ P.P.A. Gunratnasudi MS sel माथा एक एक पूजा क्षणमात्रथा पण कराशु. / / 45 // पछा त सब उद्यमवत थया अन आमनाहर प्रासादमा से तेओए पूजानी पोत पोतानी सामग्री करी.॥ 46 // श्री पार्श्वनाथ प्रभुनो पूजा करी हर्ष पामेला ते कुमारोए मुनिराजने नमस्कार करी पोताने घेर जई भोजन करयु. // 47 पछो ते कुमारो दुकाने वेठा, एवामां कोई मित्रे तेमने जोईने कह्यु के, “जो तमे मानो तो हुं एक मनोहर वात तमने कहुं. // 48 // गीत, नृत्यना कुतूहल करावतो छतो हुं हाट उपर वेठो हतो एवामां कोईये कयुं के, आने धननी लीलाथी धन्य छे. अर्थात् एने अभ्युद्यतास्ततःसर्वे, प्रासादेऽत्र मनोहरे // सामग्री कोरयामासुः, पूजायास्ते निजां निजीम् / कृत्वा पार्श्वप्रन्नोः पूजा, मुदिता मुनिपुगवम् // नत्वा निजगृहं प्राप्ता, नोजनं चैकिरे , ते // हेटे निविष्टास्ते दृष्टा, "मित्रेणैकेन नाषिताः॥ वार्तामेको मह मि,मन्यध्वे चेन्मनोहराम्॥ * मयि हट्टे सैमासीने,गीतनृत्यकुतूहलम् // कारयत्युचिरे केचिइन्योऽयं धनलोलया ॥ए॥ * मंदस्वरं पैरःप्रोचे,म्वमित्रं मयि शृण्वति // वृथास्यं वय॑ते लीली, व्ययतः पैतृकं धनम्॥५॥ मौतुःस्तन्यं पितुर्लक्ष्मीयुज्यते बाल्य एंव हि // इति तद्वाक्यमोकर्य, युष्मदंतिकांगतः५१ तबदम्य गम्यते क्वापि,व्यवसायविचक्षणाः एकः प्रोचे तंतो वोस,पन्यां पित्रोंपिगम्यते॥ इकुक्षेत्रं समुद्रश्चं, योनिपोषणमेव च // प्रसादो नृतां चै ,देणाद "नंति दरिताम् // 53 // धन मल्युं ते योग्य छे. // 49 // पछी मारा सांभलतां बीजाए धीमेथी पोताना मित्र ने कह्यु के, “पिताना धनने वापरी नाखता एवा ए पुरुषनी क्रीडाने तुं फोगट वखाणे छे." // 50 // कारण के, “माता- दुध अने पितानी लक्ष्मी बाळकज भोगवे छे.” तेनुं एवं वचन सांभली हुं तमारी पासे आव्यो छु. // 51 // वेपार करवामां कुशल एवा हे कुमारो! 'माटे लक्ष्मीने अर्थे क्यांइ पण जइये.” पछी एके कह्यु. "आपणा पिता पण समुद्रमा अने पग रस्ते जाय छे. // 52 // कहुं छे के-शेरडीनुं खेतर, समुद्र, योनि पोषण अने राजानी मेहेरबानी एटला क्ष Jun Gun Aaradhak Trust