________________ PPA, Gunnasuti MS XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX 1. गार गाना. सन फार त कहु." // 30 // पछा परस्पर हसता अन लालायाएकवा- Ay. जाना मुखने जोता एवा ते पुत्रो काईक मस्तक नमावीने मुनिना आगल बेठा. // 31 // मुनिये को. " हे महा भागवंतो ! तमे शास्त्रमा कुशल छो, माटे डाह्या पुरुषोनी साथे वात करवी ते पुण्यथी मलें छे. // 32 // आ वस्वादि आभूषणो लीलामात्रथीज तमने क्याथी मल्या ?" कुमारोए कयुं “माणसोने धनथी सर्व प्रकार- स. मर्थपणुं होय छे. // 33 // वली धनथी कीर्ति पमाय छे अने धनथी राज्यनुं मान पण मले छे." मुनिये फरी परस्परं स्मयमाना, लीलया वैकवीक्षिकाः॥ नमयित्वा शिरः किंचिन्निविष्टास्ते मुनेःपुरः॥ मुनि प्रोचे महानाग्या, यूयं शास्त्रविशारदाः॥ ततो विचक्षणैः साकं,गोष्टी पुण्येन लैन्यते३२ एषा वस्त्राद्यलंकारा लीलावत्ता नवेत् कुतः॥ ते प्राहुरर्थतःसर्वा नराणां स्युः समर्थताः॥३३॥ अर्थेन प्राप्यते कीर्तिः, स्यादाशज्यमान्यता // मुनि गौ पुनः कस्मादर्थ एवं प्रेजायते॥३४ व्यवसायादिति प्रोक्ते', 'तैः पुनर्मुनिरालपत्॥सर्वेषां किं धनं नस्याध्यवसायं प्रकुर्वताम् 35 ततस्तेष्वात्तमौनेषु, मुनिः प्रोचे विचंदणः॥ पुंस्येन प्राप्यते ह्यर्थस्तस्मात्पुरयं "विधीयते 36 . पुण्यादेव समीहितार्थघटना नो पौरुषात्प्राणिनां, यनीनोमतोऽपि नांबरपणे स्यादेष्टमः सैंधवः // स्वस्थानात्पमात्रमप्यचलतो विध्यस्य चानेकेशो, .. जायंते मंदपालिपालितयशः श्रीलंनिनःकुंनिनः // 37 // कह्यु. “धनज शाथी मले ? " कुमारोए “वेपारथी" एम कर्दा एटले फरी मुनिये का. " वेपार करनारा सर्वे * माणसोने धन केम नथी मलतुं ?" // 35 // पछी राजकुमारो उत्तर आपी शक्या नहि एटले मुनिये कह्यु. “हे / चतुर कुमारो ! निश्चे पुण्यथी धन मले छे, माटे तमे पुण्य करो पछे कह्यु के-॥३६॥ प्राणोओने पुण्यथीज ईष्ट धन आवी मले छे, परंतु पुरुषार्थथी मलतुं नथी. कारण जूओ के, आकाश मार्गे भमता एवाय पण सूर्यने आ Jun Gun Aachok Trust