________________ गुण र्गमा विशेष मान्य थई, परंतु तेथी तेनी जेठाणी तेना उपर ईर्ष्या करवा लागी.॥ 18 // ते शियालना दैव योगथी बन्ने पुत्रो मृत्यु पाम्या एटले मूर्ख एवी म्होटी बहु ते वखते रुदन करीने आ प्रमाणे विचार करवा // 1 // लागी.॥१८१॥"जेवी रीते पूर्वे त्यां गयेली रत्नमाला रत्नो लावी छे, तेवी रीते हूं पण आ फेरे त्यां जई रत्नाने लावीश."॥ 18 // पछी सासुने पूछीने त्यां गयेली शृंगार धारण करी रहेली कंकुमवाली अने हाथ मां चोखानो थाल धारण करी रहेली तेने जोईने शियाल विचार करवा लागी. // 18 // “जो म्हारा दुःखना पंत्रष्ट्ये मतेतस्या, शिवाया दैवयोगतः // कृत्वा मूर्खा तदा कंद, देधौ ज्येष्टा वधूरिति // रत्नमाला गता पूर्व, यथा रत्नौनि चानयत् // तथाथमपिगत्वा तान्यानेष्याम्यंत्रवारके॥१७॥ a श्वश्रू पृष्टा गतां तंत्र, संशृंगारां सकुंकुंमांगता करस्थाकतस्थालां, शिवा वीदय व्यचिंतयत् // 'वैरिमयन्येति काप्येषा, मधुःखसमये यदि॥ तदाशिक्ष्यांप्रदास्यामि,ध्यात्वैवसाप्रधाविता // विदार्य नखरैरंग, डुकुलेन समं शिवा // तत्कौँ त्रोटयामास, समं हारेण रोषितां // 15 // कष्टानंष्ट्वा गृहं सांगाइनमाला पृथग्गृहे // Wश्रू जंगौगिन्या मे'', विपन्नं तेत्सुतक्ष्यम् 16 यामि युष्मदनुज्ञाता, तत्पुत्रमुखदर्शने // तयोक्ते सा ययौ तंत्र, शोध्यवेषधरा गिरौं // 1 // खेन विलपंती तां,देवोपालंनदायिनीम्॥अंचित् स्थापयित्वा साँ, शिवोचे मंचःशणु // KAKKXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Aaradhak Trust अवसरे आ कोइपण वैरिणी आवे छे तो एने शिक्षा आपीश." एम धारीने शियाल दोडी.॥ 184 // क्रोध पामेली ते शियाले रेशमी वस्त्र सहित अंगने नखवडे विदारी नाख्युं अने हार सहित तेना बने कानने वाडी नाख्या.॥ 185 // पछी ते कष्टथी नाशीने घरे गई एटले रत्नमालाये जूदा घरमा पोतानी सामने कह्यु के, "म्हा री बहनना ते बन्ने छोकरांओ मरी गयां छे. // 186 // जो तमे आज्ञा आपो तो हुँ तेना पुत्रनां मुखने जोवा माट जाउं?" सासुये रजा आपी एटले शोककारी वेपने धारण करनारी ते रत्नमालात्यां पर्वतने विषे गइ.॥१८७॥ Na // 1 //