________________ P.P.A. Gunratnasuti MS पभ्रामरी, झालर अने घुघरीयोना बली भंभा विगेरे वीजा वाजींत्रोना शब्दयी क्षणमात्र जगत् शब्दमय थई * गयु. // 160 // पछी तुंबरु अने नारदादिके हर्षथी प्रभुना गुणाने गाता छतां देवताओना हृदयने विषे अमृतना मोजनथी पण अधिक हर्ष विस्तारयोः // 161 // पछी चंचल एवा कुंडल, देदीप्यमान मुक्ताफलना हार अने आभूषणोना समूहथी स्फुरणायमान अंगवाली तेमज विशेषे श्यामवर्णवाला जिनगजरूप मेघनी विजलीरूप मुँदा ततस्तुंबुरुनारदाद्याः, पॅनोर्गुणालोरूंपवीणयंतः // सुधाशनोंदप्यधिकं विते:, सुंधाशनानां हृदये प्रेमोदम् // 161 // तंतश्चलत्कुंमलतारहारशृंगारनारस्फुरदंगयष्टिः॥ रंना चिरं जावयतिस्म लास्यलीलां विनोलांगजिनाब्दविद्युत् // 16 // साचीकृतादीव ततो घृताची तिलोतमा चोमनाट्यशक्तिः // "मेने मनोज्ञा किले मेनकापि", कैलाकलापस्य फेलग्रेहित्वम् // 163 // ( शार्दूलविक्रीडितवृत्तम् ) इत्येवंविधगीतवाद्यनटनैःपूजांविधायत्रियां, तामूलाच्चियसप्तदशधाप्रीतस्तैदाखंडः // अयं धेनदत्त उज्वलसरिन्नीरैःपैटीरैःपैटुः, कैपु रैस्तुचमेरुनंदनवनीकल्पपुष्पैश्चिरम् 165 रंभा अप्सराये दीर्घ काल सुधी नृत्यलीला करी. // 162 // पछी वांका करेला नेत्रनी पेठे घृताची अने उत्तम नाट्यशक्तिवाली तिलोत्तमा तेमज मनोहर एवी मेनका पण पोतानी कलाना समूहना फल मेलववापणाने मानवा लागी. // 163 // ए प्रमाणे विविध प्रकारनां गीत, वाद्य अने नृत्यवडे त्रण प्रकारी पूजा करी अने पछी तेने प्रथमथी सत्तर प्रकारे रची ते वखते इंद्र प्रसन्न थयो. वळी ए पूजा चतुर धनदत्ते उज्वल नदीना Jun Gun Aaradhak Trust.