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________________ गुण चरित्र P ॥१शा urtasun पूजा करी. // 155 // ते इंद्रे, सुवर्णना अत्यंत उज्वल एवा चोखाथी बनावेला आदर्श, भद्रासन अने वर्द्धमान विगेरे आठ उत्तम मंगलिके करीने तेरमी पूजा करी.॥१५६॥ कपूर अने काला अगुरु चंदननो धूप उवेखीने ते धमाडाना समूहथी नाश करयुं छे पाप जेणे एवा इंद्रे घंटाना शब्दनी साथे चौदमी पूजा करी.॥ 157 // ढीचण उपर बेठेलो, पृथ्वीनो स्पर्श करी रहेलो अने मस्तक उपर हाथजोडी रहेलो इंद्र एकसो आठ स्तोत्र आदर्शनासनवईमानमुख्याष्टसन्मांगलीकैजिनाग्रे // से राजतप्रोज्वलतंडुलोत्यैस्त्रयोदशीमातनुतेस्म पूजाम् // 156 // केरिकालागुरुगंधधूपमुदिप्य धूमच्छददूरितैनाः // घंटानिनादेन समं सुरें३ः, चतुर्दशीमातनुतेस्म पूजाम् // 157 // अष्टोत्तरस्तोत्रशतं पठित्वा, जानुस्थितः स्पृष्टधरः सुरेषः // शक्रस्तवं प्रोच्य शिरस्थपाणि त्वां जिनं संसदमालुलोके // 15 // आलोकनाकृतविदौ ततोऽस्य, गंधर्वनाटयाधिपती अंमत्यौ // तूर्यत्रिकं संजयतःस्म तेत्र, प्रनोनिषेणे पुरतो सुरे३ // 15 // मृदंगन्नेरीवरवेणुवीणाषडामरीझल्लरीकिंकणीनाम् // .. नादिकानां च तदा निनादैः, दणं जंगर्छब्दमयं बनूव // 16 // भणी, शक्रस्तव (नमुथ्युण) कहीने पछी जिनेश्वरने नमस्कार करी सभाने जोवा लाग्यो. // 158 // त्यां सभामां प्रभुनी सन्मुख इंद्र बेठा पछी ए इंद्रना जोवाथी आशयने जाणनारा गांधर्व अने नाट्यना अधिपती एवा बे जातिना देवताओए वाजींत्रो तैयार करयां. // 159 // ते वखते मृदंग, भेरी, (ढोल) श्रेष्ट एवा वेणु, वीणा, Jun Gun Aaradhak Trust ॥१श
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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