________________ गण P // 11 // NC Gunatnasuti MS मगंधित गंधवाला वस्त्रथी अंगलुहण करी अने केशरादि चंदनना विलेपनथी जिनचंद्रनी बीजी पजा करी. // 145 // चंद्रना कीरणोथी पडेलुं होयनो? एवा अत्यंत मनोहर वे दिव्य वस्त्र युक्तोथो बन्ने बाजुये मूकीने रंटे जिनचंदनी बाजी पूजा करी // 146 // पछी इंद्र कपूरनी सुगंधी विलसित वासवाला श्रीखंडचंदनना वासक्षेपथी देदीप्यमान श्री जिनेश्वरनी चाथी पूजा करी. // 147 // ते इंद्रे मंदार, कल्पवृक्ष अने ध्यतं शशांकस्य मरीचिन्तिः किं, दिव्यांशुकहंमतीव चारु // युक्त्या "निवेश्यालयपामिंः , पूजां जिनंदोरकरोत्तृतीयाम् // 16 // परसौरच्यविलासिवासैः, श्रीखंडवासैः किलें वासवोऽथ // विनासुरश्रोजिननास्करेंदोः, पूजां 'जिनेंदोरकरोचतुर्थीम् // 15 // मंदारकल्पमपारिजातजातैरैलिबातकृतानुयातैः // पुष्पैः प्रनोरंग्रथितैनवांगपूजां प्रतेने किलें पंचमी सेः // 14 // 'तैरेव पुष्परिचय्य मालाः, सौरॅन्यलोन्नमिन्जुंगमालाः // आरोपयाकपतिGिनांगे, पंजा पंटिष्टी कुरुतेस्म षष्ठीं // 14 // मंदाकिनींदीवरपोवरश्रीरक्तोत्पलैश्चंपकपाटलाद्यैः // कुर्वन्विन्नोर्वर्णकर्वर्ण्यशोजां, पूजां प्रतेने किल सप्तमी संः // 15 // पारिजातना वृक्षथी उत्पन्न थयेलां तेमज जेमनी पाछळ अनेक भमराओ भमी रह्या हता एवां गांठ (डीटा) रहित पुष्पोथी प्रभुनी पांचमी पूजा करी. // 148 // तेज पुष्पोथी जेनी पाछळ सुगंधना लोभथी भमराोनी पंक्ती भमी रही हती एवी माला वनावीने ते माला जिनेश्वरना अंगने विषे आ रोपण करता एवा इंद्रे उत्तम एवी छट्टी पूजा करी. // 149 // गंगा नदीनां कमलोथी वधारे शोभावाला रातां Jun Gun Aaradhak Trust P