________________ P.P.Ad Gunratnasuti MS पत्ति तिरस्कार के निस्तेजपणुं यतुं नथी. // 140 // ए प्रमाणे ते श्रीमान् अरिहंत प्रभुनी स्तुति करीन अनं धोति पोति करीने गुणवर्मा राजा, साथे रहेला वीजा माणसोसहित हर्षथो विधिपूर्वक पूजा करवा लाग्यो. // 141 // ते राजा सोनाना कुंभ विगेरे सामग्रो करावीने पूजाना आ काव्यो मधुरस्वरथो बोलवा लाग्यो.॥१४॥ ___( अनुष्टुप्वृत्तम् ) स्तत्वेति श्रीमहतं. धौतपोतिं विधाय सः॥ समं परिजनैरोसीविधिपूजाचिकिच्दा // 141 // स्वर्णकुंनादिसामग्री, कारयित्वा नरेश्वरः // काव्यान्येतानि पूजाया, बताण मधुरस्वरम् // 14 // ( उपजातिवृत्तम् ) शचीपतिः सप्तदशप्रकारे त्यामरैः संघटितोपहारैः // स्वाँगनासु फ्रेमगायिनीषु, पूजां प्रनोः पार्श्वजिनस्य चक्रे // 153 // पुरंदरः पूरितहेमकुंनैरदंनमनोनिरलं सुगंधैः // . साकं सुरोधैः स्नपनेन सम्यक्, पूजां जिनेंदोः" प्रथमां चकार // 14 // अंग प्रमृज्यांगसुगंधगंधकाषायिकेनैष पटेन चेंः // विलेपनैश्चंदनकेशरादेः पूजां "जिनेंदोरैकरोत् हितीयाम् // 145 // . इंद्रे, सेवक एवा देवताओए सत्तर प्रकारनी एकठो करेली पूजानी सामग्रोथो देवांगनाओ गीतोने गावा लाग्ये छते श्री पार्श्वनाथ प्रभुनी पूजा करो. // 143 // इंद्रे, सरलपणे अत्यंत सुगंधवाला जलबडे भरेला सोनाना घडाओथी देवताओना समूहो सहित उत्तम प्रकारे जिनचंद्रना पहेली पूजा करो छे. // 144 // ए इंद्रे अंगना Jun Gun Aaradhak Trust