________________ गुण // 1 // P.P.A. Gunratnasuti M.S प्रदक्षिणा करी, जिनेश्वरने नमस्कार करोने स्तुति करवा लाग्यो. // 138 // कल्याणना संकेतनी शालारूप, उत्तम गुणरूप सुगंधथी मंदार जातिना पुष्पनी मालने जीतनारी, मोहनी जालने छेदन करनारो, हर्पना समूह रूप तलावने भरवामां मेघनी घटा रूप, नम्र एवी श्रीमान् राजहंसी रूप, दान आपवानी कलाथी देवताना अथवा कल्पवृक्षना मंदिरने जीतनारी, शोभाथी विशाल अने राजाओने आनंद आपनारी एवी आ तमारो मूर्ति (स्रग्धरावृत्तम् ) श्रेयःसंकेतशाला सुंगुणपरिमलैर्जेयमंदारमाला, बिनव्यामोहजाला प्रेमदन्नरसरःपूरणे मेघमाला // नम्रश्रीमन्मराला वितरणकलया निर्जितस्वर्गिसाला, त्वेन्मूर्तिः श्रोविशाला विदेलतु पुरितं नंदितदोणिपाला // 13 // खत्कर्पूरेपूरस्फुरदमलयशःशालिनस्ते समस्ते, विश्वे विश्वेश शश्वत् कलयति कमला 'क्रीमितं तदहेषु // तेषां ने कलेशलेशः कचिदपि विपैञ्छेदमेदस्विधामा, त्वं येषां क्तिन्नाजां निवससि हृदये श्रीजिनपार्श्वनामा // 14 // Jun Gun Aaradhak Trust पापने दूर करो. // 139 // हे विश्वपनि ! श्री पार्श्वनाथ जिनेश्वर नामवाला तमे जे भक्तिवंत माणसोना हृदयने विष निवास करो छो ते माणसो सघळा विश्वने विषे उज्वल एवा कपूरना समूहना सरखा स्फुरायमान निर्मल यशथी शोभता होयछे, वळी लक्ष्मी तेमना घरने विषे क्रीडा करे छे, तेमज तेमने क्यारे पण क्लेशनो लेश, वि. नि // //