________________ PPA Gun MS KKKKKKKKKKKKKXKXKKKKKKKKKKKXXXX वड, कागडा के बीजां कोई पण वृक्षना भंग करतां नथी. // 130 // अहिं बंधावनारनुं जाणे पुण्यज होयनी ! 5 त्री एवं जिनमंदिर छे के, जेणे दर्शनथी पण महा पाप दूर करयां छे // 131 // सां श्री पार्श्वनाथ प्रभुने नमस्कार करीने निश्चे म्होटो लाभ पेलवाय छे." आवां प्रशननां वचन सांभली हर्प पामेलो राना तुरत त्यां चाल्यो. // 132 // पछी उदार बुधिवाला अने परिवारसहित एवो ते राजा फरकी रहेली द्वजावाला, सोनाना दंड| वाला, कलशोथी सुंदर उंचां तोरणवाला तेमज श्रेष्ट स्तंभ तथा मंडपषी सुशोभित एवा प्रासादने जोईने पगे चाKa अंत्र कारयितुः पुण्यमिवास्ति जिनमंदिरम् // ऽरंतऽरितं येन दर्शनादपि दूरितम् // 131 // तंत्र नत्वा प्रतुं पार्श्व, महालानोहि Jह्यते // श्रुत्वेति मंदितो नूपस्तत्वणं चलितस्ततः॥१३॥ चैलजपटं स्वर्णदं कलशबंधुरम् // -तुंगतोरणं सारस्तंनमंझपमंमितम् // 133 // प्रसादं विक्ष्य नृपतिः, पादचारेण स जन् // जैगाम संपरिवारो, झारदेशमुदारधीः // 13 // तेत्रोवलोक्य श्रीपार्श्वनाथस्य प्रतिमामसौ॥णं स्तब्ध व स्त्विा , निविष्टः पृथिवीतले१३५ कि | जने परस्परं वीक्ष्यमाणे पो विर्मूर्छितः // पंपात पृथिवीपीठे, निमीलितविलोचनः॥१३६॥ प्रधाविरे प्रधानाद्या, वारिवारीतिनाषिणः॥वीजितो ध्यंजनैःसिक्तोऽनोनिः सोऽनसँचतनः॥ नत्याय तत्कणं मध्ये, प्रविश्यादरतो नृपः॥७त्ये प्रदक्षिणां दत्वा,"जिनं नेत्वा स्तुति व्यधात्॥ लतो छतो जिनमंदिरना बारणा पामे आव्यो. / / 133 // 134 // त्यां ते राजा श्री पार्श्वनाथ प्रभुनी प्रतिमाने जोइ क्षणमात्र स्थंभितनी पेठे थईने पछी पृथ्वी उपर बेठो. // 135 // पाणसो परस्पर जोता हता एटलामां तो बंध करयां छे नेत्र जेणे एवो ते गजा मूर्छा पाम्यो अने पृथ्वी उपर पडी गयो. // 136 // ते जोइ प्रधान a विगेरे पुरुषो 'पाणी पाणी' एम बोलता छता दोड्या. पछी विंझणावडे पान नावेलो अने पाणीवडे सिंचन करेलो ते गुणवमा राजा सचेत थयो. // 137 // पछी राजा तुरत उठी, आदरथी मंडपनी अंदर पेसी चैत्यने Jun Gun Aaradhak Trust