________________ PPA Gunnast MS Kel छल लागलाना राजाना साथ चालला त कनकावला समरासहना साय पाताना पातनु युद्ध जाइविस्मय पामा // 116 // युद्धनं कौतुक जोती, हर्षना आंसुना समूहथी भीजायलां नेत्रवाली, आंमुथी धोवाई गयेलां दिव्य अंजनवाली तेमज गुणवर्मानी पाछल उभेली कनकावलीने समरसिंह राजाए दीठी. // 117 // पछी नासी जवाना मोषे पाछा फरीने ते समरसिंहे युद्धमाथी कनकावलीनुं हरण करयु. गुणवर्मा राजा पण युद्धमा पोताने विजयवंत थयेलो मानी हर्ष पामतो छतो पोताना पडावमां आव्यो. // 118 // त्यां ते प्रियाने नहिं मलवाने लीधे शसा पश्यंती प्रमोदाश्रुपरेण प्लावितांबका // गलदिव्यांजना दृष्टा, समरेण नृपानुगा // 117 // नव्याजादपंसृत्य, जन्ते तेन रणादियम् // नृपो जिताहवं मन्यः, स्वावासं मुंदितो ययौ॥११७ | प्रियामलन्नमानोऽसौ, झात्वा तैरणं रिपोः॥ मूर्चितः पतितः पृथ्व्यां,नँत्यैश्चैके संचेतनः॥११॥ अलं विषमचितोऽसौ, निशीथसमये नृपः // अंजनाििगरेः शृंगे, देवोद्योतमलोकत // 13 // 'किमेतदिति साश्चों, गतस्तत्र नरेश्वरः // देदर्श नरवणिं, मुंनिर्मुत्पन्नकेवलम् // 11 // / पृथुप्रमोदपूरेण, पूरितः पृथिवीपतिः // प्रणम्य पितरं पुण्योपदेशं परमं पपौ // 12 // सेमरोऽपि समायातस्त्वत्र चित्तं देवत्परम्॥ मुनिं प्रणम्य शुश्राव, देर्शनां क्लेशनाशिनीम् // 153 त्रुथी तेनुं हरण थयुजाणी मूर्छा खाई पृथ्वी उपर पडी गयो एटले सेवकोए तेने उपचारोथी सचेत करयो. // 119 // पछी बहु खेदातुर थयुं छे चित्त जेनुं एवा ते गुणवर्मा राजाये अधि रात्रीने वखते अंजनगिरि पर्वतना शिखर उपर देवताना प्रकाशने दीठो. // 120 // “ए शुं छे ?" एम आश्चर्य पामेलो राजा त्यां गयो तो तेणे उत्पन्न थयु छे केवलज्ञान जेने एवा * नरवर्मा मुनिने दीठा.॥ 11 // पछी बहु हर्षना समूहथी पूर्ण थयेला ते राजाए | पिताने नमस्कार करी उत्तम एवा पवित्र उपदेशने सांभल्यो. // 11 // समरसिंह राजा पण श्रेष्ट एवा हर्षने * पोताना पिता. Jun Gun Aaradhak Trust