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________________ P.P.A. Gunratnasuti MS पोतानी सेनाने पडाव कराव्यो. // 108 // ते वखते समरसिंह राजाए मोकलेलो दूत त्यां आवी गुणवर्माने क- चरित्र हवा लाग्यो के, " तमने समरसिंह राजाए कहेला कांइ समाचार म्हारा मुखथी सांभलो. // 109 // ज्यांमधील जरावस्था आवी नथी त्यां सुधी अप्रमुता कहेवाय छे. वली तने परणेली ते युद्धमां अपराजित एवा समरने विषे तो अपरणे छे. // 110 // जो आ कनकावली राजकन्या तुं पातेज ए समर राजाने सुखे आपे तो ते त्हारो गुण माने अने जेनाथी आनो श्रम पण निवारे. // 111 // पछी गुणवर्माए काढी मूकेलो दूत गये छते सर्व दि समरप्रहितो दूतस्तत्रागत्य नपं जगौ // मन्मुखासमरेणोक्तं, शेण किंचन वाचिकम् 10 // न जरा तिता यावदप्रसूतैव तावता // कढाँप्येषां ह्येनुढेवें, सैमरे सेमराजिते // 11 // सुखेन दीयतेऽमुष्मै, यद्येषा नवता स्वयम्॥ गुणं स मैन्यते तर्हि,अमो येनास्य वारितः 111 देते निर्वासिते तेन. याते सति दिगोऽखिलाः स्त्रीवर्जस्वला जाता,वाद्यनादास्नथालवत्११२ प्रियानेत्रध्ये न्यस्य,दिव्यांजनमयो नेपः॥ प्रियां प्रोचे प्रियेऽत्रै,स्थातव्यं यावदागमम 113 बाढमुक्तेवेति नृपतौ, सायुधं थमाश्रिते // संजोनवति सैन्ये च, सा देध्यौ निजेचेतसि 114 दिव्यांजनप्रन्नावेण, न मां इक्ष्यति कश्चन // प्रियपृष्टस्थिता तस्य, विदयेऽहं युद्धकौतुकम्११५ ध्यात्वेति सानुलग्नेर्वे, चलिता ननुजा संह॥समरेण समं पैत्युर्यु६ वीक्ष्य विसिष्मिये 116 शाओ स्त्रीनी पेठे रजस्वला (रजयुक्त ) थई गई. तेमज वाजींचना शब्दो पण थवा लाग्या. // 112 // पछी गु. णवमाए पियानां नेत्रमा दिव्य अंजन आंजीने कां के,"हे प्रिया! हुंज्यां सुधीमांआधुं त्यां मुधीमांत्हारे अहि रहे. // 113 // कनकावलीये " बहु सारं." एम का एटले राजा गुणवर्मा रथ उपर वेठो अने सैन्य तैयार थो ते वखते कनकावली विचार करवा लागी के.॥ ११४॥"दिव्य अंजनना प्रभावथी मने कोई देखशे नहि, माटे पतिनी पाछल उभी रहीने हुँ तेमनुं युद्ध कौतुक जोर." // 115 // आ प्रमाणे विचार करीने पा Jun Gun Aaradhak Trust //
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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