________________ P.P.Ad Gunratnasuti MS लग्न थयु नहोतुं. // 101 // पछी कामदेवथी पीडा पामती ते राजपुत्री कनकावलो तमनेज पति इच्छे छे, * माटे तेना पिताए तमारा माटे मने अहिं मोकल्यो छे. // 101 // आ नगरथो ते हेमपुरनगर पचास योजन छे अने वचे पच्चीश योजन भूमि उपर अंजनगिरि नामनो पर्वत छे. // 102 // त्यां शौर्यनी संपत्तिना संकेत स्थान सरखो समरकेतु राजा छे के, जेने ते कनकावली राजकन्या पूर्वे आपेली हती. // 173 // ए राजा जेम न जाणे तेम तमारे आववं. कारण जो जाणे तो क्रोधी एवो ते राजा विवाहने विघ्न पण करे." // 10 // अथ मन्मथदूना सा,त्वामेव पंतिमिछति ॥हितोऽस्मि ततस्तस्याः,पित्राहं नवतः कृते 151 पंचाशयोजनो च स्यात्तत्पुर नगरादतः॥पंचविंशतियोजन्यां, "गिरिरस्त्यंजनागिरिः // 10 // तंत्रॉस्ति समरकेतुः, संकेतः शौर्यसंपदाम्॥ यस्मै पूर्व प्रेदत्तासीत्कन्या सा कनकावली॥१०॥ अयं यथा न जानाति, तथागम्यं त्वर्यान्यथा॥ विधेने से विवाहस्य, व्याघातमपि चेत्कुधीः१०४ येथायोग्यं करिष्यामीत्युक्त्वा तं विसृज्य त॥ नृपतिःसुदिनेऽचालोई लेन संहितोधीधा१०५ नाग्ययोगानंदा तस्य,वैरी रोगातुरोऽनवत् ॥जंतर्मपि तं श्रुत्वा,मैनस्यैवं विणवान्॥१६॥ नृपो हेमपुरं प्राप्तः, स्वसुरेण कृतादरः // महोत्सवादुपायंस्त, संस्नेहां कनकावलीम् // 10 // दिनानि त्यपि स्थित्वा, व्यावृतः वपुरं प्रति // सैन्यमावोसयामासांजनगिरिगिरेवने 107 पछी " हुं योग्य रीते करोश." एम कही ते दूतने रजा आपीने गुणवर्मा राजाए वे प्रकारनी सेनासहित सारा दिवसे प्रयाण करयुं. // 105 // ते वखते भाग्ययोगथो तेनो शत्रु समरकेतु राजा महा रोगो थयो हतो, जेथी जता एवा ते गुणवर्माने सांभलीने मनमांज खेदातुर थयो. // 106 // ससरा हेमांगद राजाए आदर करवा पूर्वक हेमपुर नगर प्रत्ये गयेला गुणवर्मा राजा स्नेहवंत एवी कनकावलीने महोत्सवी परण्यो. // 107 // * पछी त्यां पण केटलाक दिवसो रहीने पोताना नगर प्रत्ये जता एवा गुणवर्माए अंजनगिरि पर्वतना वनने विषे Jun Gun Aaradhak Trust