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________________ गुण - // 10 // PP.AC.Gunratnasun M.S. ___चारे तरफ अखंडित वागतां वाजींत्रो संभलाये छते नगरवासी जनोए पार्वतीनी पेठे जोवायली ते सिंह पर बेठेली राणी सर्व चैत्योने नमस्कार करी अने त्यां महोत्सव करी फरी पोताना घर प्रत्ये आवी एटले स्कंदिले तेने सिंह उपरथी उतारी लीधी. // 305-310 // तस्या प्रीणितचित्ताया, संप्राप्तायां स्वमंदिरे // विप्रो व्यलोकयनूपं, राज्यकन्यानिलाषुकः / / तेन तनिश्चये दत्ते, मगेई स व्यसर्जयत् // स च विद्युल्लताकारं, दर्शयन्नन्नसा ययौ॥३१२॥ ___पछो प्रसन्न चित्तवाली ते राणी यशोमतो पोताना घरे गइ एटले राज्य अने राजकन्यानी इच्छा करता एवा विप्रे राना सामु जोयु.॥ 311 // राजाए तेनो निश्चय आप्यो एटले विगै सिंहने छोडी दीधो, जेथी ते विजलीनी पेठे आकाश मार्गे चाल्यो गयो. // 313 // प्रदाय तस्मै राज्याई, नृपः श्यामामजूहवत् // रूदत्यागाऊनन्या सा, साकमाकुलिताशया // श्यामां श्यामामिव श्यामामश्यामोनूपतिरपि // तत्पार्श्वे स्थापयामास, वीवाहावसरे स्वयम् पछी राजाए ते विप्रने अर्दू राज्य आपीने श्यामाने बोलावी. आकुल व्याकुल चित्तवाली श्यामा पण रुदन करती पोतानी माता सहित त्यां आवी. // 313 // अश्याम एवा राजार पण श्यामाना सरखी श्याम श्यामाने वीवाहना अवसरे ते स्कंदिल विपनी पासे वेसारी. // 31 // स्वरूपस्य स्वरूपं यो, पश्यन्नस्याः करग्रहम्॥ करिष्यति न लजास्य, परेच्यः स्वात्मनोऽपि च एवं जल्पति सर्वस्मिल्लोके शोकेन संकुले // करेण तस्य कन्यायाः, करो योजि पुरोधसा॥ जे आ पोताना रुपने जोतो छतो आ कन्याना हाथने ग्रहण करशे, परंतु एने बीजाथी अथवा पोताथी लजा नहि थाय? / / 315 // ए प्रमाणे शोकथी व्याप्त एवा सर्वे लोको बोलता हता, एवामां गोरे ते स्कंदिलना हाथनी साथे कन्यानो हाथ मेलाव्यो. // 316 // संजाते तत्करश्लेषे, तत्कणं तां कुरूपताम् // विहाय खेचरः सोऽनूदिव्यरूपो विनूषितः // हारकुंडलकोटोरकांतिमंझलमंमितः // श्राखंमल श्वाखमलावण्योऽसौ विरेजिवान् // 31 // Jun Gun Aaradha Trust 1 //
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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