________________ PPG . .) . क्ष - पछी लोकोथी विंटलायेला तेणे वनमा जइ मंत्र जणीने पूर्व दिशामां आक्षेपसहित सपर्व फेंक्या.॥३०॥ पछी फाल देतो सिंह आव्यो एटले भय पामता एवा लोकोने निवारीने ते स्कंदिले सिंहने केसवालीमां पकडयो. तं मत्तं वृषवद्धृत्वा, नापयंतमपि प्रजाः॥ानीय नूपतेहरे, स्थापयामास चंचलम्॥३०३ आनीयतामयो देवीं, सिंहमारोप्यतामिति // कथिते तेन सा प्रीता, प्राप्ता तत्र यशोमती३० प्रजाओने भय पमाडता एवाय पण ते मदोन्मत्त अने चंचल एवा सिंहने तेणे राजाना बारमा लावीने उनो राख्यो. // 303 // पछी “देवी यशोमतीने लावो अने सिंह उपर बेसारो.” एम ते स्कंदिले कयं एटले प्रसन्न थयेली यशोमतो त्यां आवी. // 30 // चंचलत्वं विशेषेण, तदा सिंहे प्रकुर्वति // नूपः प्रोवाच नो राझी, त्वमेवारोपय स्वयम३०५ श्रुत्वेति चिंतयच्चिते, जनः पश्यन् परस्परम् // वामनोऽयं कथंकारं, राझीमारोपयिष्यति // ते वखते सिंह विशेषे चपलपणुं करवा लाग्यो एटले राजाए कह्यु के, अरे स्कंदिल ! तुज पोते ए राणीने सिंह उपर बेसार." // 305 // राजानां आवां वचन सांभली माणसो परस्पर जोता छता चिंतमां विचार करवा लाग्या के, "आ वामणो राणीने सिंह उपर शी रीते बेसारी शकशे." // 306 // तामालिंग्य दृढं दोयो, सिंहपृष्टेऽधिरोपणम् // तस्य कारयतस्तूर्णं मंगाहामनता गता 307 लोके सविस्मये सिंहे,तमारोप्य समाधिनासोऽस्याः पार्श्वस्थितोऽचालीत् ,सन्नपाश्च जनाःपर as ___ पछी बे हाथवडे राणीने दृढ पकडी सिंहनी पीठ उपर बेसारता ते वामणानुं अंग तुरत म्होर्ट थडग // 307 // लोक विस्मय पामे छते राणीने समाधियी सिंह उपर बेसारी राजा अने नगरवासी जनो महिना स्कंदिल राणीने पडखे चालवा लाग्यो अने राजा सहित माणसो आगल चालवा लाग्या. // 308 // अनाद्यतेषु वाद्येषु, श्रूपमाणेषु सर्वतः // देवी सिंहसमारुढा, पोरगौरीव विदिता // 30 // प्रणम्य सर्व चैत्यानि, कृत्वा तत्र महोत्सवम् // पुनर्मंदिरमायाता, तेनैवोत्तारिता च सारे .. संग्रह, *मु ..... SO . श्री Jun Gun Aaradhak Trust