________________ P.P.A. Gunratnasuti MS है/ गीतप्रियना कंठमां वरमाला पहेरावी. // 221 // रूप अने लावण्यथो तुल्य एवा ते बन्नेनो विवाह थयो एटले * " सर सरखाथीज शोन्ने छे." एम माणमो कहेवा लाग्या. / / 222 // विसृष्टाः खेचराः सर्वे, ययुनिजपुराएयथ // गंधर्वमालया रेमे, तत्रासौ सुस्थितश्चिरम् 223 अन्येयुः स तया साकं, खेचरैः परिवारितः॥ वर्यं विमानमारूढो, जांबूनदपुरं ययौ // 22 // पछो रजा आपवाथी सर्वे विद्याधरो पोत पोताना नगरे गया एटले त्यां सुखे रहेला गोतमिये दीर्घकाल सुधी गंधर्वमालानी साथे क्रोडा करी. // 223 // कोइ वखते ते गीतप्रिय प्रियाने साथे लइ अनेक विद्याधरो * सहित उत्तम वैमानमां बेसी जावूनद नगरे गयो. // 224 // तदैवालानमुन्मूल्य, पट्टहस्ती नरेशितुः॥ मतश्चचाल विध्याइिं, स्मृत्वा पर्वतसंनिन्नः तरंगांस्त्रासयस्तूर्ण, रथान्विश्लथयन्नथ // नाशयन्नरनारीश्व, स चके व्याकुलं पुरम् // * आवखते राजा महीपालनो मदोन्मत्त अने पर्वत समान पट्टहस्ति विंध्याचल पर्वतर्नु स्मरण थवाथी आSel लान स्थंभने उखाडी नाखीने चालो निकल्यो. // 325 // पछी घोडाने असंत त्रास पमाडता, रथोने 2 भागी नाखता अने स्त्री पुरुषोने नसाडी मूकता ते हाथ,ये नगरने व्याकुल करयु. // 226 // जगौराजा गवाहस्थो, यो वशं कुरुते गजम् // ददे राज्याईमाप्यस्मै, तत्पुनःश्रय और गीतप्रियस्तदालोक्य, व्याकुलत्वं निजे पुरे // करेगुं तं वशं कर्तुं, वीणां दधे निजे ___ पछी गोखमां बेठेला राजाए कह्यु के, “जे हाथीने वश करशे तेने हुं अर्धं राज्य आपीश." परत ते * कोइये सांजल्युं नहि. // 227 // ते वखते पोताना नगरमां व्याकुलपणुं जोइ गीतप्रिये ते हाथीने व माटे पोताना हाथमां वीणा लीधी. // 228 // गायतिस्म तथा गीतं, वीणयासौ मनोहरम् // श्रुत्वा शांतो यथा हस्ती, हृष्टश्च सकलो जनः ततो विशेषतस्तत्र, जायमाने महोत्सवे // गत्वा सत्नां पितुः पादौ, स ननाम सखेचरः२३० | Jun Gun Aaradhak Trust