________________ PPA Guntasun MS अन्येयुः सहितो मित्रैर्गत्वासौ जिनमंदिरम् // जिनं नत्वा प्रमोदेन, पुरो गीतं जगौ प्रनोः॥ पुनः प्रनुमसौ नत्वा, यावन्निजगृहं ययौ // तावदारामिको मालां, ढोकयामास तत्पुरः॥१७* ___कोइ दिवस मित्रो सहित ते गोतप्रिय जिनमंदिरमा जइ अने जिनेश्वरने नमस्कार करी हर्षथी प्रभुनो आगल गीत गावा लाग्यो. // 177 // फरी ते गोतप्रिय प्रभुने नमस्कार करी जेटलामा पोताना घरे गयो तेटलामां मालोये तेनी आगल माला मूकी // 178 // चंचञ्चंपकपुष्पाणां मालामालोक्य नूपन्नूः // इधुं मदनवीरेण, प्रहितां तामतर्कयत् // 17 // * ब्रामंभ्रामं च कुर्वाणं, ऊंकारान्मधुरस्वरम् // हेमवर्णमसौन्नुंगं, मालास्थितमलोकयत्॥१८० राजकुमारे मनोहर चंपाना पुण्पोनी माला जोइने मदन ( कामदेव ) वीरे मोकलेली ते मालाने तेनुं वाण धारयु. // 17 // ए राजकुमारे, भमता अने मधुर स्वरे झंकार शब्द करता तेमज माला उपर बेठेला एक सोनाना भमराने दोठो. // 18 // शुका नीला सिता हंसाः, अमराः कृष्णवर्णकाः // विपरितमिदं किंतु, येनालिः कनकप्रनः॥ * यादृग्वास्ति मालासौ, तादृग्वण्यो मधुव्रतः // सदृशं सदृशेनेदं, संगतं शोनतेऽथवा॥१७२ ___पछो ते कुमार विचार करवा लाग्यो के, " अहो ! पोपट लीला होय छे, हंस घोला होय छे अने भ. . मरा काळा होय छे; परंतु आतो विपरित देखाय छे के, जे भमरो पण सोनाना सरखी पीली कांतिवालो छे !!! // 181 // आ माला जेवी वखाणवा योग्य छे तेवोज वखाणवा योग्य भमरो छे; अथवा आ सरखी वस्तु पोताना सरखो वस्तुयी एकठो थइने शोभे छे ? // 182 // .. एवं तस्मिन्वदत्येव, मुंगो महँगिरा जगौ // माला गंधर्वमाला सा, त्वं चास्यां ब्रमरो जव॥ गंधर्वमालावरांगी, त्वं चासि कनकप्रन्नः॥ नन्नयोर्जायतां योगो, जगदानंदहेतवे // 18 // ___आ प्रमाणे गीताप्रिय कुमार बोलतो हतो, एवामां भमराए मनुष्यनी वाणीथी कयुं के, "ते गंधर्वमाला Jun Gun Aaradhak Trust