________________ PPC Gurut MS गुण गोतपूजा कृता येन, फलं तस्य निगद्यते // अस्ति जांबुनदं नाम, नगरं कुरुममले // 16 // // चरित्र // 9 // महीपालान्निधो नूपस्तत्र रूपमनोनवः॥ तस्य रूपवतो नार्या, नामतः परिणामतः॥१७॥ (नरवर्मा केवली गुणवर्माने कहे छे के,) जेणे गीतपूजा करो छे, तेनुं फल केहेवाय छे. कुरुदेशमां जांबुनद मर्नु नगर छे. // 169 // त्यां रूपथी कामदेव समान महीपाल नामनो राजा हतो, तेने नाम सरखा गुणवालो रुपवती नामनो खो हती. // 17 // तनुजो धनदत्तस्य, शंखस्तत्कुदिमागतः॥ समये स तयासूत, पिता चके महोत्सवम् // 171 / मकरध्वज इत्याख्यां, प्रोत्या तस्मै ददौ पिता॥ गोतप्रिय इति प्रोचे, जनैर्गीतप्रियत्वतः 172 . हवे धनदत्त शेठनो पुत्र शंख ते रुपवतीना उदरमां आव्यो. तेणे अवसरे पुत्रने जन्म आप्यो, जेथी पिताए महोत्सव करयो. // 171 // पिताए तेनुं प्रोतिथी मकरध्वज एवं नाम पाडयं, पण गोत प्रियपणाने लोधे लोकोए तेने गीतप्रिय एवा नामथो बोलावा मांडयो. // 172 // क्रमेण वइमानोऽसौ, कलाकौशल्यबंधुरः॥ लसल्लावण्यलोलावांस्तारं तारुण्यमाप सः॥१७३ गीतं शुश्राव जैन, श्रुत्वासौ मुदितोऽनवत् // गीतानोयैश्च गोयंते, तेन्यो दानं परं ददौ१७४ ___कलामां प्रवीण अने लचकता लावण्यथो लोलावान् एवो ते गोतप्रिय अनुक्रमे वधतो छतो उत्तम एवो युवावस्था पाम्यो. // 17 // जिनेश्वरना गीतने सांभलतो अने सांभलीने हर्ष पामतो. वलो गायक लोको पासे गा यन करावतो अने तेओने उत्तम भेट आपतो. // 174 / / * जगौ गीतं स्वयं सोऽपि, निजरंगतरंगितः॥ हंसकोकिलमुख्यानां, जयं कृत्वा स्वकंठतः // अनूत्प्रवीणो वीणाया, वादनेऽसौ विशेषतः॥अशेषतत्वं वानामझासीहएयतोयधीः॥१७६॥ पोताना कंठथी हंस कोकिल विगेरेनो जय करी पोतानाज रंगना उच्छरंगथी ते गीतप्रिय पोते पण गोतने गातो हतो. // 175 // ए विणाने वगाडमां विशेष प्रवीण थयो. एटलुंज नहि पण स्वर ग्राम विगेरेने उत्तम रीते जाणवा लाग्यो. // 176 // Jun Gun Aaradhat Trust 91 //