________________ गुण // RUN P.P.A. Gunratnasuti MS एवं हसंती संप्राप्तसाध्वीयुगलकेन सा // नाषिता हेमहानागे, जिननिंदा करोषि किम् // 155 सा मिथ्याःकृतं दत्वा, कमयामास तत्क्षणात् // एवं हितोयवेलायामपि तस्यास्तथान्नवत् ... ए प्रमाणे हसतो एवी कमलाने त्यां आवेला बे साध्वायोए कयुं के, " हे भाग्यवतो ! तुं | जिनराजनी निंदा करे छे ? // 155 // कमलाए मिथ्यादुःकृत आपो तुरत क्षमा मागो. ए प्रमाणे वीजी वखत पण तेने तेज प्रमाणे थयु.॥ 156 // तथाच मुदिता चित्ते, तस्मै साध्वोझ्याय सा // दानं ददौ ततो नोगफलकापि चार्जयत्॥ मृत्वा सा ते सुता जाता, जिननिंदोबकर्मणा // प्राप्त दुर्गंधतादोषो, वारघ्यमनूततः॥१५॥ वलो पण चित्तमां हर्ष पामेली ते कमलाए ते वन्ने साध्वीने दान आप्यु, तेथा तेणे वलो भोगफलकर्म पण मेलव्यु. // 157 // ( सूरिसिंह राजाने कहे छे के,) पछो ते मृत्यु पामीने त्हारी पुत्रो थइ छे. जिननिंदाथी उत्पन्न थयेला कर्मने लीधे तेने वे वार दुर्गधतानो दोष प्राप्त थयो. // 158 // दानपुण्यप्रनावेग, राज्यसौख्यमुपेयुषी // आरामनंदनी सेयं, क्रमात्स्वर्गमुपष्यति // 159 // प्राच्यजन्मन्यसौ गंधराजः श्रीहस्तिनापुरे // श्रेष्टिनो धनदत्तस्य, श्रीदत्ताख्यः सुतोऽनवत् // ___ दानपुण्यना प्रभावथी राज्य सुखने पामेलो ते आ आरामनंदनो अनुक्रमे स्वर्ग पामशे. // 159 // वली आ गंधराज पूर्व जन्मने विषे हस्तिनापुरमां धनदत्त शेठनो श्रीदत्त नामनो पुत्र इतो. // 160 // पूजायां क्रियमाणायां, धूपपूजामुना कृता // तेन पुण्यप्रनावेश, प्राज्यराज्यमन्नूदिदम् // धूपपूजाविशेषेण, प्रन्नावोऽस्य करेऽन्नवत् // यथा तव सुता नीरुक, तथान्योपि नवत्यतः॥ पूजा करे छते ए श्रीदत्ते धूप पूजा करी हती तेथी ते पुण्य प्रभावथी तेने आ भवमां आ महा समृद्धिवंत राज्य मल्यु. // 161 // धूप पूजाना विशेषपणाथो आ गंधराजना हस्तने विषे प्रभाव थयो. जेम त्हारी पुत्री रोग रहित थइ तेम बीजा पण तेथी निरोगी थशे."॥ 162 // Jun Gun Aaradhak Trust 9 //