________________ चरित्र 15. PPA Gunun MS गुण विसृज्य मंत्रिणं नूपः, स्वांते बुद्धिं व्यचिंतयत् // तत्पाहणं तेन, यया स्याक्रियते तथा // प्रायो येनाध्वना याति, गंधराजो दिनात्यये // निर्णीयस्थानके तत्र, नूपो गर्नामचीखनत् // _ पछी मंत्रीने रजा आपी राजा पोताना मनमा विचार करवा लाग्यो के, "ते गंधराज म्हारो पुत्रानो साथे लग्न करे तेम म्हारे करवू जोइये."॥१३९॥ पछी वणुं करीने जे मार्गे सांजे गंधराज जाय छे तेनो निर्णय करीने ते स्थानके राजाए खाइ खोदावो. // 140 // शिक्षयित्वा सुतां देव्याः, सखीं चैकां नरेश्वरः॥ प्रेषयामात गर्तायाः, संनिधौ वासरात्यये // सुखेन मध्येग तां, निवेश्य प्रथमं सखी॥ आयातं गंधराजं च, दृष्ट्वा पूत्कारमातनोत् // 142 पछी राजाए पोतानो पुत्रोने शखिवीने अने एक राणीनी दासीने शीखवाने ते बन्नेने सांजे ते खाइनी पासे मोकल्यां. // 141 // दासीये पण प्रथम ते राजपुत्रीने खाइ मध्ये सुखेथी उतारीने पछी गंधराजने आवतो जोइ पोकार करवा लागी.॥ 14 // नोलोका धावत विप्रं, गंधराज त्वरांनज // गर्गयां पतिता बाला, कृष्यतां म्रियतेऽन्यथा // आकर्ण्य गंधराजस्तत्, कृपापूरितमानसः॥ धावित्वा दक्षिणं हस्तं, तामाकृष्टुमदात्तदा॥१४४ . हे लोको झट दोडो, अरे गंधगज उतावल करो. आ खाइमां पडेली कन्याने काढो, नहितो ते मरी जशे. * // 143 // कृपाथी पूर्ण मनवाला गंधराजे ते पोकार सांभलीने ते वखते दोडीने तेणे कन्याने खेंची काढवा पोतानो जमणो हाथ आप्यो. // 144 // करेण दक्षिणेनेयं, गृहीत्वा तत्करस्थिता // गता जुर्गंधता दोषा, तेनाकृष्य बहिष्कृता॥१५॥ बहिर्गता सा तत्पाणिं, मुमुचे मोचितापि न // शुन्नलग्ने गृहोतोऽयं, न मया मुच्यते करः // - जमणा हाथवडे ए कन्याने ग्रहण करी अने पछी तेना हाथमा रहेली दुर्गधता जती रही. कुमारे पण तेने खेंचीने खाइनी बहार काढी. // 145 // खाइ बहार निकल्या पछी कुमारे पोतानो हाथ छोडावा मांडयो, पण कन्याए छोडयो नहि, वली ते कहेवा लागी के, में शुभ लग्ने ग्रहण करेलो हाथ हवे मूकाय नहि. // 146 // KAKXXXXXX******XXXXX Jun Gun Aaradhak Trust // 9 //