________________ चरित्र गुण न PP.AC.Gunratnasun M.S. श्रुत्वेति नूपतिः प्रोचे,घिधिग् मे इष्टचिंतितम् // केनाप्ययो विवाह्येता, गृहीष्ये संयमं ध्रुवम् इत्युक्त्वा नूपतिर्नत्वा, सूरिज्ञन् सपरिबदः॥ गृहमागत्य नुक्त्वास्या, योग्यं वरमचिंतयत् // ____ मुनिनां आवां वचन सांभली राजाए कह्यु के, म्हारा दुष्ट विचारने धिक्कार छे ! धिक्कार छ !! हवे हुं आ पुत्रीने कोइनी साथे परणावीने निश्चय धारण करीश. // 123 // आ प्रमाणे कहीने परिवार सहित राजा मुनिने नमस्कार करी घरे आवी भोजन करीने ते कन्याना योग्य वरनो विचार करवा लाग्यो. // 124 // तस्यामेव त्रियामायां, जन्मकण इव क्षणात् // तस्या शरीरे दौगंध्यदोषः पोवमवाप सः॥ * विनाते विविधैवैद्यवचनैर्वसुधाधवः // औषधं कारयामास, तस्या आरोग्यहेतवे // 156 // . हवे तेज रात्रीमां जन्म अवसरनी पेठे क्षणमात्रमा ते पुत्रीना शरीरे ते दुर्गधनो दोष प्रगट थयो. // 125 // प्रभाते राजाए विविध एवा वैद्यना कहेवा प्रमाणे ते पुत्रीना आरोग्यने माटे औषध कराव्युं. // 126 // अनिरुजितामालोक्य, नीरजाहां नरेश्वरः॥ चिंतातुरो गुरुं नंतुमगात्तुर्य दिने पुनः // 127 // तस्याः स्वरूपे नूपेन, कथिते सति सूरयः॥ प्रोचिरे प्रायसः पुण्यांतरायः प्रचुरा नृणाम् // ___राजा पुत्रीने रोग रहित न जोइने चिंतातुर थयो छतो फरी चोथे दिवसे गुरुने वंदन करवा गयो. // 127 // त्यां राजाए ते पुत्रीनी वात कही एटले सरिये कह्यु के, माणसोने घj करीने पुण्यना अंतरायो होयछे / 128 // नूपःप्रोचे प्रन्नो यो मे, संयमस्य मनोरथः॥ ससेत्स्यति न वा तस्या, नैरुज्यं वा नविष्यति // * नैरुज्यं च विना तस्या, विवाहेऽप्यकृते सति // संयमो नोचितो नूनं, हृदये रोचतेऽपि मे // राजाए कयु. " हे प्रभो ! म्हारो जे संयम लेवानो मनोरथ छे ते सिद्ध थशे के नहि अने ए पुत्री रोग रहित थशे के नहि ? // 12 // // वली ते पुत्रीना रोग रहित थया विना अने तेनो विवाह करया विना मने पण योग्य एवो संयम लेवो रुचतो नथी. // 130 // Jun Gun Aaradhat Trust