________________ P.PA. Gunratnasuti MS जन्मन्येता सुदर्गंधां, तत्यजुर्दासिका वने // क्रमेण कर्मयोगेन, तस्या बुगंधता गता // 115 // नारडपक्षिणा नीता, देशं मालवनामकम् // आरामे कापि तेनासौ, जीवंतीति समुकिता // ____ जन्मने अवसरे आ दुर्गधा पुत्रीने दामीयोए वन त्यजी दीधी हती. अनुक्रमे कर्मना योगथी तेनी दुगंध गइ. // 115 // पछी भारंड पक्षी तेने मालव देशमा लइ गयु. त्यां तेणे कोश उद्यानमां ते कन्याने जीवतीज त्यजी दीधी. // 116 // तत्र खेटपुरं नाम पुरमस्ति महर्दिकम् // रामदेवस्ततश्चारामिकः स्वाराममाययौ // 117 // पतिता वोदिता तेन, प्राग्जन्मजनकेन सा, गृहीत्वा निजकांतायै, समर्प्य प्रतिपालिता 118 ___त्यां खेटपुर नामनुं महामृद्धिवालुं नगर हतुं, ते नगरथी रामदेव नामनो माली ते पोताना उद्यानमां आव्यो. // 117 // पूर्व जन्मना पिता एवा ते मालीये त्यां उद्यानमां पडेली ते कन्याने जोइ अने लइ पोतानी स्वाने सोपीने तेनुं पालन करयुं. // 118 // आराममध्ये लब्धेयमिति वत्सलचेतसा // आरामनंदिनी नाम, तस्यास्तेन विनिर्ममे 11 जाता षोडशवर्षीया, दृष्टा सर्पण चान्यदा // मंत्रैः कृतप्रतीकाराप्यसाध्येति विनिश्चिता 120 ___ पछी प्रीतिवंत चित्तवाला ते रामदेव मालीये " आ पुत्री मने आराम (वगीचा ) मध्येथी मली छे." एम धारी तेनुं "आरामनंदिनी नाम पाडयं. // 119 // ते पुत्री अनुक्रमे शोल वर्षनी थइ, एवामां कोइ दिवस सर्प तेने डंश दोधो. मंत्रोथी बहु उपायो करया तोपण ते असाध्यज रही. // 120 // मंजूषायां च निक्षिप्य, नदोपूरे प्रवाहिता // आयातात्रगृहोतेयं, त्वया कौतुकतस्तदा // 11 // पालिता फलराजीवदय नोक्तं त्वयेष्यते // अहो व्यामोहवृक्षाणामालवालायतेऽवलाः 122 तेथी पेटीमां घालीने तेने नदीना पूरमां तणाती मूकी ते अहिं आवी. ते वखते आ कन्याने ते कौतकथी ग्रहण करी. // 121 // फल समूहनी पेठे पालन करी अने पछी तुं तेनेज भक्षण करवानी ( भोगववानी ) इच्छा करे छे. आश्चर्य छे के, स्त्रोयो पोते आ मोह वृक्षोना क्यारारूप बनी जाय छे. // 12 // Jun Gun Aaradhak Trust