________________ PPA Gunnasuti MS * अग्नौ हुते.मया मांसशोणिते अपि यत्कृते // यदि सा खलु तादृक्षा, धिक् कृतघ्ना श्माःस्त्रियः // ति वैराग्यतः सोऽहं, मातापित्रोरनुझया // गृहोत्वा संयमं प्राप्तो, विहरवत्र संप्रति // 10 // _जेना माटे में अग्निमां मांस अने रुधिर होम्यां तेज स्त्रो जो तेवा थइ तो पछो कृतघ्न एवो खायाने धिक्कार छे. // 99 // (श्री मुनि गंधराजने कहे छे के ) हे कुमार ! एवा वैराग्यथो तेज हुं माता पिताना आज्ञाथो चारित्र लइ विहार करतो हवणां अहिं आव्यो छं. // 10 // श्रुत्वेति गंध राजोऽपि, विरक्तः स्त्रीषु तं मुनिम् // नत्वागत्य गृहं मातापितरौ स्वौ व्यजिज्ञपत् // | गृहोष्याम्येव चारित्रमादेशो मम दोयताम् // तावूचतुर्न जीवठ्यामनुज्ञा तव दोयते // 12 // मुनिराजनां आवां वचन सांजली गंधराज पण स्त्रोयोने विष विरक्त थयो छतो मुनिने नमस्कार करो घर आवोने पोताना माता पितानो आ प्रमाणे विनंतो करवा लाग्यो. // 101 // " हे मात पिता! हुं चारित्र लइश, माटे मने आज्ञा आपो." तेओए कयु " अमे जोवतां तने आज्ञा आय नहि. // 102 // ततःस्थितोऽसौ वैराग्यरंगणैव निरंतरम् // तदा उलनदेवीतः, सुतैका नूपतेरनूत् // 13 // दृष्ट्वा तामतिगंधां, दासिकास्तत्यजुर्वने // देव्यै तु कथयामास, मृता जातेति ताःपुनः 104 पछी ते गंधराज निरंतर वैराग्यवासित थइने घरमा रहेवा लाग्यो. आ वखते सिंह राजाने दुर्छन पट्टराa णीथी एक पुत्री प्राप्त थइ. // 103 // ते पुत्रीने बहु दुर्गंधवालो जोइ दासीयोए वनमां त्यजो दीधी अने वलो तेओ पट्टराणीने “ए पुत्री मृत्यु पामेली जन्मी हती." एम कयु. // 10 // ततः षोडशवर्षेषु, व्यतीतेषु नृपोऽन्यदा // प्राप्तपुरां नदी इष्टुं, ययौ कौतुकपुरितः // 105 // आगळती जले दृष्ट्वा, मंजूषा नूपतिस्ततः॥ आकृष्योद्घाट्यामास, दृष्टा काचिदिहागना 106 __पछी शोल वर्ष वीती गयां एटले कोइ वखते आश्चर्यवंत एवो सिंह राजा पुर आवेली नदीने जोवा माटे गयो. // 105 // त्या राजाए पाणीमां तणाती आवती पेटीने जोइ तेने वहार कढावीने उघडावी तो | तेमां तेणे कोइ स्त्रीने दोठी. // 106 // KXXXXX*KKKKK2SKKKisikikikikikikxxKkKXYYYY Jun Gun Aaradhak Trust