________________ चरित्र. PPC Gurratsuti MS ==XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX तदंगं पाणिना स्पृष्ट्वा, रूढयित्वा च तत्क्षणात् // गते लोऽनवत्तापि, सका हृष्टो जनोऽखिलः यादृक् स्नेहः स्वकांतायामस्य तादृक् परस्य न // इति वार्ता जगत्यासोज्जनानां प्रोतिकारिणो॥ ते पद्माकरना शरीरे हाथ लगाडी अने तेना घाने तुरत रूझवी नाखी भूत चाल्युं गयुं एटले ते पद्मश्री साजी थइ अने माणसो हर्ष पाम्या. // 91 ॥“आ पद्माकरने जेवो स्नेह पोतानी स्त्रीने विषे छे, तेवो वीजा कोइ पुरुषने पोतानी स्त्रो उपर नथी." एवी जगत्मां माणसाने प्रीति करनारी बात थवा लागी. // 92 // अन्यदा सा गवाक्षस्था, पथि यांतं नृपांगजम् // ददर्श सोऽपि दैवात्तां, दृष्ट्वा जातोऽनुरागवान्॥ सापितं तादृशं वीक्ष्य, सानुरागां दृशं दधौ // सोऽफिचमणात्तस्यै, संकेतस्थानमब्रवोत् // कोइ वखते गोख उपर बेठली ते पद्यश्रीये राजपार्गे जता एवा राजपुत्रने दीठो. राजपुत्र पण ते पद्मश्रीने जोइ प्रीतिवंत थयो. // 93 // पद्मश्री पण ते राजकुमारने जोइ अनरागवाली दृष्टीने धारण करवा लागो, तेथी राजपुत्रे भ्रकुटीने भपाववाना मीषथी तेने संकेतस्थान कह्यं. // 94 // A गते तस्मिन्नथोवाच, सा कांतं यदि कानने // गत्वा क्रीडाव आवां तत्प्रीतिर्मनसि जायते 95 *अथ तौ काननं प्राप्तौ, यावत्तावन्नृपांगजः॥ वृक्षांतरे स्थितस्तत्र, यत्र पश्यति सा दृशा॥९६॥ ते राजकुमार गया पछी पद्मश्रीये पोताना पतिने कडं के, " जो उद्यानमां जइने आपणे क्रीमा करीये *तो म्हारा मनमां प्रीति थाय. // 95 // पछी ते बन्ने जणां जेटलामा उद्यानमां गयां तेटलामां राजपुत्र त्यां वृक्षनी नीचे उभो हतो के, ज्यां पद्मश्री दृष्टिथी जोइ रही हती. // 96 // तं निरीक्ष्य गता, सद्यं निजकांतं विहाय सा // पद्माकरो विषादेन, पूरितः सदनं ययौ // 9 // | आत्मियो रूपकः कूटो, वादः किं वणिजा सह // यदि साखलु तादृक्षा, कः कोपस्तनपांगजे॥ ___ पद्मश्री ते राजकुमारने जोइ अने पछी पोताना पतिने त्यजी दइ ते राजकुमार पासे गइ, तेथी अत्यंत द पामेलो पद्माकर पोताना घरे गयो. // 97 // जो पोतानो रूपियो खोटो छे तो पछी वेपारीनी साथे वाद श्यो करवो? जो ते स्त्रीज एवी छे तो पछी ते राजपत्रने विष कोप शा माटे करवो? // 98 // Jun Gun Aaradhak Trust //