________________ गुण *चरित्र.. // PPA G MS XXXXXXXXXXXXXXXXXXX**** वत्सदेशेऽम्ति विख्याता, कौशाबी नामतः पुरो॥श्रेष्टो च विजयस्तत्र, पवित्र पुण्यकर्मणा॥ विजयश्रोरिति ख्याता, प्रियातस्य क्रियान्विता ॥तयोः पद्माकरः पुत्रः, पद्माकर चामलः॥ वत्स, देशमा प्रसिद्ध एवी कौशांबा नामना नगरी छे, अने त्यां पुण्यकार्य पवित्र एवो विजय ना शेठ | रहे छ. // 75|| ते शेग्ने विजयश्रो एवा नामनी कार्यनिपुण स्त्रा हती. तेओने चंद समान निमेल पद्माकर ना. मनो पुत्र हतो.॥७॥ पद्मश्रीरिति नाम्नास्य, वधुर्विधूसमानना // यां विना सैष शिश्राय, स्वप्ने पि न. परां स्त्रियम् 77 * एकांते कांतया साकं, तयासौ कांतयानिशम् // नाना कोमान्निरकोमदनेषु नवनेषु च // 7 // ए पद्म'करने पद्मश्री एना नामनी चंद्रना समान मुखवाला स्त्रा हती. ए पद्मश्रा विना ए पद्माकरे स्त्रमामां पण बीनी स्त्रीने सेवन करी हती नहि. // 77|| ए पद्माकर निरंतर एकांतमां मनोहर एवी ते स्वानो साथे वनमां अने घरमां नाना पकारनी क्रीमाथी रमनो हतो. / / 78 // अन्येद्यरुथ्थिता प्रातर्मत्तात्रांतलोचना // यत्तजजल्प सा नूमौ, लुलोठ च रुरोद च // 79 // कणं गातं दणं हास्यं, कणं नृत्यं चकार सा // न चकार परं लजां, न वस्त्रस्यापि संवरम् 10 एक दिवस सवारे उठेला ते मदोन्मत्तनी पेठे भ्रांत नत्रवानी पद्मश्री जेम तेम बोलवा लागी अने पृथ्वी उपर लोटवा लागी तेमज गंवा लागी. / / 72 // ते पद्मश्री क्षणमां गीत गाय, क्षणमां हास्य करे अने क्षणमां नृत्य करे, परंतु लज्जा पामे नहि तम वस्त्रने ओढे पण नाह. // 70 // वधूमेवविधां वीक्ष्य, वजनः म्वसुरोऽपि च // द्वावपि व्याकुलौ जातो, चक्रतुस्तत्प्रतिक्रियाम्॥ मिलिता निषजोऽनेके, मांत्रिका जगऽश्च ते // रोगवेतालशाकिन्याकिदोषान् प्रथक् प्रथक् ___ आ प्रकारनी वहुने जोइ तेना पति अने सामरो बन्ने जणा व्याकुल थड गया अने ते ओ तेने उपाय करवा लाग्या. // 85 // अनेक वैद्यो तमज मंत्रिको भेगा थया अने तेओ जूदा जूदा रोग, वेताल शाकिनी विगेरेना दोषो कहेवा लाग्या. // 82 // XXKKXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Aaradhak Trust