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________________ चरित्र GH PPA Gun MS गुण* मुनि नत्वा गृहे गत्वा, मित्रं धनपतेः सुतम् // कृत्वासौ पुण्यकर्माणि, कुर्वन् राज्यमपालयत्॥ मित्रस्य शुकजीवत्वाचुकनाम ददौ नपः॥ लोकैरपि तथा ख्यातो, ददोऽयं पुण्यकर्मणि 65 _ पछी मुनिने नमस्कार करी घेर जइ अने धनपति शेठना पुत्रने मित्र करो ए कनकध्वज राजा पुण्यकार्य करतो छतो राज्य करवा लाग्यो. // 61 // राजाए मित्रनुं पोपटना जीवपणाथी शुक एवं नाम पाडयुं. पुण्यका र्यने विष चतुर एवो ते शुक पण लोकमां तेवाज नामथी प्रसिद्ध थयो. // 62 // A समये स्वस्य पुत्राय, राज्यं दत्वा निजं नृपः॥ तेषामेवं गुरूणां स, पार्श्वे संयममाददे // 63 // *प्रपाल्य निरतिचारं, चारु चारित्रमुज्वलम् // विहितानशनःप्रांते, सौधर्मे त्रिदर्शाऽनवत् // ____ पछी ते राजाए अवसरे पोताना पुत्रने राज्य आपी तेज ज्ञानि गुरु पासे चरित्र लोधुं. // 63 / / अतिचार रहित उत्तम उज्वल चारित्रने पाली अंते अनशन व्रत लइ ते कनकध्वज सौधर्म देवलोकमां देवता थयो.।६४। चिरं सुखान्यसौ नुक्त्वा, देवलोकात्ततश्चयुतः॥नुपते तनयस्तेऽनृत्तारणाख्यः त्रयोदशः 65 (श्री नरवर्मा केवली गुणवर्मा राजाने कहे छे के,) हे भूपति ! ए त्यां बहु काल सुधी देवसुख भोगवी अने पछी ते देवलोकथी चवी त्हारो तारण नामनो तेरमो पुत्र थयो छे. // 65 // ॥इति अहत मंगलपूजाया श्रीद कथा.॥ Jun Gun Andhak Trust धूपपूजा कृता येन, फलं तस्य निगद्यते // अत्रास्ति नरतत्रे, तामलियाख्यया पुरी॥६६॥ सिंहो महीपतिस्तत्र, सिंहवविक्रमास्पदम् // देवी उद्धनदेवी च, देवीव उर्खन्ना परैः // 6 // जेणे धूप पूजा करी छे तेनुं फल कहेवाय छे. आ भरतक्षेत्रने विपे तामलिप्ती नामनी नगरी छे. त्यां सिंहना सरखो पराक्रमी सिंह नामनो राजा हतो अने तेने वीजाओने दुर्लभ एवी देवीनी पेठे दुर्लभदेवी नामनी स्त्री हती.६७ मा
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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