________________ P.P.Ad Gunratnasuti MS AS कनकध्वजन्नूपालः, पालयन् वैनवं निजम् // समयं गमयामास, तानिःसह मुधामयम् 53 अन्यदासौ बहिर्गछन् , केनापि प्रीतिशालिना // पुंसा प्रोचे समागत्य, त्वयाहमुपलक्षितः 54 ___ कनकध्वज राजा पण पोताना वैभव- पालन करतो छतो ते स्त्रीयोनी साथे अमृतमय समयने निर्गमन करवा लाग्यो. // 53 // कोइ वखते कनकध्वज राजा वहार जतो हतो, एवामां प्रीतिवंत एवा कोइ पण पुरुषे आवीने कह्यु के,"तमे मने ओलख्यो ?" // 54 // शुकजीवोऽस्म्यहं प्राप्तजातिस्मरः निजप्रियः॥ श्रुत्वेति पूर्ववृत्तांतं, स्मृत्वा प्रोतिमवाप सः॥ तं कृत्वा सौ हयारुढं, सह नीत्वा बहिर्ययौ // तावता तत्रसंप्राप्ता, मुनिशेखरसूरयः // 56 // ___“पोताने प्रीय एबुं प्राप्त थयुं छे जातिस्मरणज्ञान जेने एवो हुँ पोपटनो जीव छ." ते पुरुषनां आवां वचन सांभली अने पूर्वनुं वृत्तांत संभारी कनकध्वज राजा हर्ष पाम्यो.॥५५॥ कनकध्वज राजा ते पुरुषने अश्व उपर बेसारी साथे लइ जेटलामां बहार गयो तेटलामां त्यां मुनि शेखरसूरि आव्या. // 56 // झानिनस्तानृपो नत्वापृचत्पूर्वनवं निजम् // निःशेषं प्रोचिरे तेच, पुरतस्तस्य विस्तरात् 57 हस्तिनागपुरे श्रेष्टी, धनदत्तानिधोऽन्नवत् // श्रीदनामा सुतस्तस्य, विदधे जिनपूजनम् 57 - राजाए ते ज्ञानिगुरुने नमस्कार करी पोतानो पूर्वभव पूछयो अने मुनिये पण तेनी आगळ विस्तारथी सर्व कर्दा के, // 57 // हस्तिनापुरने विषे धनदत्त नामनो शेठ हतो, तेना श्रीदनामना पुत्रे जिनपूजन करयु.॥५॥ R अदतार्चा कृता पूर्व, मंगलाष्टकपूर्वकम् // अदतं राज्यमेतान्निः, सह प्राप्त त्वया ततः 55 नृपः पूर्वनवं श्रुत्वा, तदा जातिस्मरोऽनवत् // विशेषादार्हतं धर्म, प्रपेदे मुनिसंनिधौ॥६॥ . पूर्वे तेणे अष्ट मंगलिक पूर्वक अक्षतवडे जिनराजनुं पुजन करो, तेथी ( श्रीदना जीव रुप ) तने आ आठ As स्त्रीयो सहित अखंडित एबुं राज्य मल्युं छे. // 19 // राजा कनकध्वज पोतानो पूर्व भव सांभली ते वखते जाति स्मरण ज्ञान पाम्यो, तेथी तेणे मुनि पासे विशेषे अरिहंतनो धर्म आदरयो. // 6 // PRXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Aaradhak Trust