________________ PPM Gunun MS श्रेष्टी च रामदेवोऽहमिमा अष्टौ सुता मम // नार्याचतुष्कसंजाताः, समं संजातयौवनाः॥ निमित्तझो जगौ सोमो, मया पृष्टस्तवांगजाः॥ कनकध्वजनूपस्य, नविष्यंति सुवजनाः // // 73 // * वलो रामदेव नामनो हुं शेठ . म्हारे आ आठ पुत्रीयो छे. ते म्हारो चार स्त्रीयोथी उत्पन्न थइ सायेज * यौवनावस्था पामी छे. // 45 // कोइ वखते में सोम नामना निमित्तीयोने पूछयु एटले तेणे कर्दा के, त्हारो पुत्रीयो कनकध्वज राजकुमारनी उत्तम स्त्रोयो थशे. // 46 // / कामिदेवान्निधो यक्षस्ततः संसेवितो मया // तेनानीय प्रदत्तोऽसि, कृतोऽयं च महोत्सवः॥ इति श्रुत्वा स्थितस्तानि जानः सौख्यमनुतम् // विसस्मार निजं स्थानमप्यसौ तद्विमोहितः / ___पछी में कामीदेव नामना यक्षनुं सेवन कर्यु के जेथी तेणे तमने अहिं लावी आप्या अने आ महोत्सव करयो. // 47 // रामदेवनां आवां बचन सांपली त्यां रहेलो तेमन ते पोतानी स्त्रीयोनी साथे अद्भुत सुख भोगवतो अने तेमनाथी मोह पामेलो ते कनकध्वज कुमार पोतानुं स्थान पण विसरी गयो. // 4 // प्राप्तेषु यानपात्रेषु, निजस्थानागतानरान् // विलोक्योत्कंठितो जातः, स्वपित्रोःसंगमाय सः॥ स्वसुरःज्ञातवृत्तांतः, कालोपमसासहि // यकेण स कणानितस्तान्निः सह निजं पुरम् ॥णा - कोइ वखते त्यां लंकाद्वीपमा पोताना देशथी वहाण आव्यां अने तेमां पोताना स्थानथी आवेला माणसोने जोइ कनकध्वज पोताना माता पिताने मलवाने उत्साहवंत थयो. // 49 // आ वात ससरा सोमदेवे जाणी, तेथी तेणे कालक्षेप न करता ते यक्षनी पासे कनकध्वजने ते स्त्रीयो सहित तेना नगरे पहोचाडयो. // 50 // अकस्मादागतं गेहे, प्रियान्निः परिवारितम् // तं प्रेक्ष्य पितरौ प्रीतिं,परमां प्रापतुः प्रगे॥५१॥ अथो हरिर्महीपालस्तस्मै राज्यं प्रदाय सः॥ कृतप्रांतार्दपुण्येन, परलोकमसाधयत् // 5 // ___सवारे ओचिंता घरे आवेला अने प्रियाओथी विंटलायला तेने जोइ माता पिता बहु हर्ष पाम्या. // 51 // पछी ते हरि राजाए ते कनकध्वजने राज्य आपी पोते अंते अरिहंत धर्मना पुण्यथी परलोक पाम्यो. // 52 // Jun Gun Aaradhat Trust 3 //